धीरे धीरे कम हो रहा है इंसेफेलाइटिस का प्रकोप

435

कभी जापानी बुखार कुशीनगर के लिए अभिशाप था।हर साल बहुत सारे बच्चे काल के गाल में समा जाते थे। स्थानीय स्तर पर समुचित दवा का इंतजाम नही था और जागरूकता के अभाव में लोग इसके बचाव का उपाय नही कर पाते थे, लेकिन अब परिस्थिति बदल गयी है।नतीजा सामने है कि बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण होने लगा है।

Advertisement

जापानी इंसेेलाइटिस से मरने वालें बच्चो के संख्या में काफी कमी आई है। आधिकरिक आंकड़े इस बात की गवाही दे रहा है कि मौत में कमी आयी है। पहले जापानी बुखार से पीड़ितों की प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज की कोई प्रबंध नही होने से मरीज सीधे जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लिए रेफर कर दिए जाते थे ।

वर्ष 2005 से लेकर 2016 के बीच जिले में 6 हजार मासूमों को इस बीमारी ने अपने आगोश में ले लिया था । 2 वर्ष के भीतर मुख्यमंत्री की सक्रियता और प्रशासन के साफ सफाई, दवा का इंतजाम में किए गए प्रयास इस जानलेवा बीमारी पर काफी हद तक काबू करने में सफलता मिली है । मरीजो को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर करने की जरूरत कम पड़ रही है।