दीक्षांत सप्ताह : ‘रसमंजरी’ ने सबका मन मोहा

329

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के 37वें दीक्षांत समारोह 2018 के दीक्षांत सप्ताह के अंतर्गत आज दिनांक 24 अक्टूबर 2018 को दीक्षा भवन में सांस्कृतिक उत्सव रसमंजरी का आयोजन धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रोफेसर विजय कृष्ण सिंह ,मुख्य अतिथि वर्तमान महापौर सीताराम जायसवाल जी,नगर निगम गोरखपुर, विशिष्ट अतिथि श्रीमती अंजू चौधरी ,उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग लखनऊ एवं पूर्व महापौर नगर निगम गोरखपुर तथा श्रीमती गीता सिंह जी,प्रथम महिला दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई।

Advertisement

कार्यक्रम की शुरुआत ललित कला विभाग की छात्राओं ज्योति सिंह,सोनम ,मोनिका,काजल इत्यादि द्वारा गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना द्वारा की गई ।अगले 3 घंटे तक दीक्षा भवन संगीत के माहौल में लबरेज रहा ।कार्यक्रम में सबसे पहले बुंदेलखंड के लोक नाट्य शैली स्वाँग पर आधारित नाटक की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रही ।यह प्रस्तुति माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अभियान *बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ* से प्रेरित था जिसका निर्देशन डा॰हिमांशु द्विवेदी द्वारा किया गया था और इसका शीर्षक ‘बोझ नहीं भविष्य हूं ‘, था।यह नाटक बेटियों की व्यथा पर आधारित था ।इसमे हास्य के माध्यम से समाज की बुराई पर प्रकाश डाला गया था ।बेटों की चाह में शेख चिल्ली लगातार अपनी पत्नी को कोसता है लेकिन अंततः बेटों का अपने पिता के प्रति दुर्व्यवहार किया जाना उसकी आंखें खोलता है।

समाज की बुराई को उजागर करने वाला यह नाटक लोगों के द्वारा खूब सराहा गया ।अगले क्रम में डॉ कुमकुम धर जी एवं उनकी टीम का कत्थक शैली में एक नृत्य की प्रस्तुति की गई जिसका शीर्षक था ‘राम वियोग ‘।इस नृत्य नाटिका के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के वन गमन से अयोध्या में नर नारियों के असहनीय वेदना का वर्णन किया गया ।कार्यक्रम की अगली कड़ी में श्री रविशंकर मिश्र एवं उनके सहयोगी गण फैंनी मार्के उर्फ़ मीरा जी( स्वीटजरलैंड ),प्रीतम ,गौरव , मितेश मिश्र द्वारा गीत एवं संगीत की जुगलबंदी थी ।अंत में ललित कला एवं संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न संगीत की प्रस्तुतियाँ जैसे की बनारसी दादरा , ‘नज़रिया लग जाएगी मोरे कान्हा को ‘;निर्गुण भजन श्री गोपाल दास जी ‘नीरज ‘ का ‘अपनी बानी प्रेम की बानी ‘व एक लोक गीत ‘मोरे ग़ौवॉ क नौवाँ सुनर लागे ‘और भजन प्रस्तुति जिसका शीर्षक ‘ बाबा नाहीं दूजा कोई ,एक अनेकन नाम तुम्हारे मोपे और न होयी’ लोगों को ख़ूब भाया ।
सांस्कृतिक संध्या में स्वागत भाषण कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर उमा श्रीवास्तव द्वारा किया गया ।अंत में कलाकारों का सम्मान सम्मानित अतिथियों द्वारा किया गया ।कार्यक्रम का संचालन संगीत एवं ललित कला विभाग के सहायक आचार्य शुभंकर डे द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर उषा सिंह विभागाध्यक्ष ललित कला एवं संगीत विभाग के द्वारा किया गया ।

इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग ललित कला एवं संगीत विभाग के समस्त शिक्षको,डा॰प्रदीप साहनी,डा॰गौरी शंकर चौहान ,श्री प्रदीप राजौरिया एवं श्रीमती श्रद्धा शुक्ला का रहा ।कार्यक्रम में प्रमुख तौर पर पूर्व महापौर डॉक्टर सत्या पांडे ,प्रति कुलपति प्रोफेसर एस के दीक्षित ,वित्त अधिकारी वीरेंद्र चौबे ,कुलसचिव सतीश शर्मा ,लेखाधिकारी पीएन सिंह ,प्रोफेसर ओ पी पांडे ,प्रोफेसर सीपी श्रीवास्तव,प्रोफ़ेसर जितेंद्र मिश्र प्रोफ़ेसर विनोद सिंह ,प्रोफेसर गोपीनाथ ,प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ला ,प्रो दिव्या रानी सिंह ,प्रोफेसर रविशंकर सिंह ,प्रो छाया रानी , प्रोफेसर गोपाल प्रसाद,प्रो हर्ष कुमार, डा॰निशा ,डा॰ आशीष शुक्ला ,डा॰पंकज सिंह ,डा॰अमित कुमार शर्मा , महेंद्र नाथ सिंह ,डॉक्टर बी एन सिंह इत्यादि लोग उपस्थित रहे ।