ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे (15 अक्टूबर 2022) पर विशेष- बीमारियों से ही नहीं कुपोषण से भी बचाती है ‘‘राइट हैंडवॉशिंग हैबिट’’

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गोरखपुर, 14 अक्टूबर। सही तरीके से सही समय पर हाथ धोने की आदत यानि ‘‘राइट हैंडवॉशिंग हैबिट’’, डायरिया, कोविड, पेट की बीमारियों व इंसेफेलाइटिस समेत विभिन्न प्रकार के संक्रमण से बचाव करती है । सुमन-के विधि से हैंडवॉशिंग करने से न केवल बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि कुपोषण से भी सुरक्षा होती है । गंदे हाथों से खानपान करने से पेट में कृमि संक्रमण हो जाता है और इससे कुपोषण की आशंका बढ़ जाती है ।

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जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि हैंडवॉशिंग की महत्ता को देखते हुए मिशन निदेशक ने पत्र भेज कर सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर 15 अक्टूबर को ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे मनाने का दिशा-निर्देश दिया है। पत्र के मुताबिक भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली 2.3 मिलियन वार्षिक मृत्यु में से 13 से 14 फीसदी डायरिया संबंधित बीमारियों के कारण होती हैं। अगर सही तरीके से हाथ धुलने की आदत डाल ली जाए तो इस मृत्यु को कम किया जा सकता है।

चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी तो प्रत्येक क्लिनिकल प्रक्रिया के बाद हाथ धुलते हैं, लेकिन समुदाय को व्यक्तिगत कार्यों के बाद भी सही तरीके से हाथ धुलने की आदत डालनी होगी । शौच जाने के बाद, खाना खाने से पहले, आंख, मुंह, नाक, कान अथवा किसी भी चीज को छूने के बाद साबुन पानी से हाथ धुलना आवश्यक है । हाथ धुलने का इंतजाम न हो तब सेनेटाइजर का प्रयोग करना चाहिए । हाथों की स्वच्छता से डायरिया के मामलों में 20 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है।

समुदाय को किया जा रहा जागरूक

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में मुख्य सेविका मोहित सक्सेना बताती हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत गर्भवती, धात्री, किशोर-किशोरियों और बच्चों को समय-समय पर हैंडवॉशिंग की जानकारी दी जाती रहती है । उन्हें डेमो के जरिये स्पष्ट किया जाता है कि आमतौर पर साफ दिखने वाला हाथ भी गंदा होता है। इसके लिए दो शीशे के ग्लास लिए जाते हैं। एक ग्लास में बिना हैंडवॉश वाली हथेली से होते हुए पानी गिराया जाता है और फिर दूसरे ग्लास में उसी हथेली पर हैंडवॉशिंग कराने के बाद पानी गिराया जाता है । फिर दोनों पानी का रंग दिखाया जाता है और प्रतिभागी स्पष्ट देख पाते हैं कि बिना हैंडवॉश का पानी मटमैला है। डेमो के जरिये यह समझाया जाता है कि अगर कोई भी बिना साबुन पानी से हाथ धुले कुछ खाता है तो यही मिट्टी पेट में जाकर कृमि पैदा करती है। कृमि संक्रमण से कुपोषण की समस्या पैदा होती है । इस मामले में बच्चों और किशोरों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

कोविड ने बदला व्यवहार