आठ माह की अंशिका की जिंदगी को मिली ‘‘आशा की किरण’’, छह महीने बाद बच्ची के कटे तालू की भी होगी सर्जरी

221
Advertisement

गोरखपुर। जंगल छत्रधारी गांव की आशा कार्यकर्ता किरण गांव के मीरगंज टोला की आठ माह की बेटीअंशिका के लिए ‘‘आशा की किरण’’ साबित हुईं हैं।

Advertisement

कटे होठ और तालू के साथ पैदा हुई बच्ची के कटे होठों की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम की मदद से आशा कार्यकर्ता ने सर्जरी करवाने में सफल रहीं।

Advertisement

छह महीने बाद बच्ची के कटे तालू की भी सर्जरी होगी। आशा कार्यकर्ताके प्रयासों से बच्ची को निःशुल्क पोषण सामग्री भी मिली और जब बच्ची सात किलो की हो गयी तब उसके होठों की सर्जरी की गयी। बच्ची के निराश अभिभावकों के चेहरे पर आशा के प्रयासों से मुस्कान लौट आई है।

अंशिका के पिता रामप्रसाद इलेक्ट्रिशियन हैं । तीन साल पहले उनकी शादी माया देवी से हुई थी। 13 अगस्त 2021को माया ने बेटी अंशिका को जन्म दिया लेकिन परिवार के लोग उस वक्त परेशान हो उठे जब चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची के होठ और तालू कटे हुए हैं ।

अंशिका की दादी रुमावती देवी बताती हैं कि परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पहली बच्ची और वह भी जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुई । पूरा परिवार दुखी था ।

Advertisement

इसी बीच आशा कार्यकर्ता किरण ने उनसे संपर्क किया और कहा कि जन्मजात विकृति का इलाज संभव है और वह इस बात की गारंटी लेती हैं कि बच्ची को ठीक करवा देंगी ।

किरण बताती हैं कि परिवार इतना दुखी था कि बच्ची को किसी को देखने तक नहीं देना चाहता था। उन्होंने बच्ची के परिवार से वायदा किया कि वह लोग भरोसा रखें, बच्ची ठीक हो जाएगी ।

वह एक हफ्ते के भीतर ही बच्ची को माता पिता के साथ लेकर चरगांवा के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा से मिलीं ।

Advertisement

उन्होंने परिवार को समझाया। फिर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके) चिकित्सक डॉ मनोज मिश्र से संपर्क किया । डॉ मनोज ने भरोसा दिया कि योजना के तहत संबद्ध अस्पताल में निःशुल्क सर्जरी हो जाएगी ।

आरबीएसके योजना के तहत शून्य से 18 साल तक के बच्चों का निःशुल्क इलाज होता है ।

आरबीएसके की दूसरी टीम के चिकित्सक डॉ वीके सिंह व डॉ पवन कुमार, स्टॉफ नर्स पुनीता पांडेय और फार्माशिस्ट विमल वर्मा के साथ बच्ची को अस्पताल भिजवाया गया ।

Advertisement

कम वजन बनी बाधा

आरबीएसके टीम के चिकित्सक डॉ पवन कुमार का कहना है कि बच्ची का वजन जन्म के समय 2.5 किलो का था । सावित्री हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने बताया कि सात किलो वजन होने पर ही सर्जरी की जाएगी ।

कटे होठ व तालू के साथ बच्ची स्तनपान नहीं कर पा रही थी । अस्पताल से ही बच्ची को लिक्विड फार्म में पोषक सामग्री दी गयी ।

आठ महीने में ही बच्ची ने सात किलो से ज्यादा का वजन प्राप्त कर लिया । इसी सात अप्रैल को बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया ।

Advertisement

आठ अप्रैल को सर्जरी हुई और नौ अप्रैल को बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया । छह महीने बाद तालू की भी सर्जरी होगी । डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने जिला स्तर पर बच्ची की सर्जरी में काफी सहयोग किया ।

प्रशिक्षित की गयीं हैं आशा

जिले की सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है कि अगर उनके गांव में कोई बालक-बालिका बीमार है तो आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों पर जाने वाली आरबीएसके टीम से उसकी जांच करवाएंगी। जन्मजात विकृति वाले बच्चों को भी आरबीएसके टीम की मदद से निःशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाएगी ।

टीम के लोग आवश्यकता पड़ने पर सरकारी गाड़ी से जिला स्तरीय अस्पतालों में ले जाकर बच्चों का इलाज करवाते हैं ।

Advertisement

– डॉ आशुतोष कुमार दूबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

Advertisement