‘कोरोना समुचित व्यवहार’ बनेगा कोरोना से जंग का सबसे बड़ा हथियार

409

गोरखपुर। कोरोना समुचित व्यवहार वह उपकरण है जिसके जरिये कोरोना मरीजों के बीच में या फिर कोरोना बहुल इलाकों में रहने के बावजूद बीमारी से बचा जा सकता है।

Advertisement

जिले में अंग्रिम पंक्ति से लेकर टॉप लेवल के अधिकारी तक इन व्यवहारों के जरिये कोरोना से न सिर्फ खुद बचे हुए हैं, बल्कि परिवार को भी सुरक्षित रखे हुए हैं।

यह लोग सुरक्षा और सतर्कता का व्यवहार अपना कर रोजाना कोरोना पर वार कर रहे हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि छोटी-छोटी सावधानियों से ही बीमारी से बचा जा सकता है। कोरोना रिपोर्ट अगर निगेटिव आ गई है तब भी सावधान रहना है और किसी प्रकार की लापरवाही या बेपरवाही नहीं करनी है।

रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) के प्रभारी एसीएमओ डॉ. एसएन त्रिपाठी की एंटीजन और आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि वह होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के घर जाकर नियमित विजिट करते हैं।

आरआरटी के सदस्यों के साथ उन्हें मरीजों के घर जाने के बाद दो गज दूरी के साथ बात करना होता है। उनका कहना है, ‘‘कार्यस्थल के साथ-साथ घर पर सतर्क रहना बेहद आवश्यक है।

चाहे कोई कितना करीबी क्यों न हो, अगर वह आपके सामने आता है तो सतर्कता नहीं छोड़नी है। मैं तो यही करता हूं। किसी से भी मिलता हूं मॉस्क लगा कर दो गज दूरी से ही बात करता हूं।

मरीजों की बहुलता वाले इलाकों में जाने पर दो-दो मॉस्क का इस्तेमाल करता हूं। फिर भी मुझे मालूम है कि अगर कहीं भी छोटी सी लापरवाही हुई तो बीमारी का हमला हो सकता है।’’

जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल मार्च से कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। वह मधुमेह के मरीज हैं। प्रवासियों की स्क्रीनिंग से लेकर कोविड मरीजों के जांच शिविर तक में उनका जाना हुआ।

समय-समय पर एंटीजन, आरटीपीसीआर और ट्रूनेट विधि से उन्होंने कोरोना जांच कराया लेकिन वह निगेटिव रहे। हां, मधुमेह बढ़ने के कारण बुखार आया लेकिन अब वह भी नियंत्रित है।

उनका कहना है कि हाथों की लगातार साबुन पानी या सैनेटाइजर से सफाई, मॉस्क के उपयोग और रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के नियमित सैनेटाइजेशन के कारण वह बीमारी से बचे हुए हैं।

कोविड जांच करने वाले लैब टेक्निशियन आयुष सोनी न केवल कार्यस्थल पर बल्कि घर पर भी पूरी सतर्कता रखते हैं। उनका मानना है कि डर की बजाय सतर्कता से ही बीमारी से बचा जा सकता है।

होम आइसोलेशन में स्वस्थ हुए कोरोना चैंपियन आईडी सिंह का कहना है कि घर पर इलाज के दौरान आयुष बिना डरे उनकी घर पर आकर मदद किया करते थे।

घर जाने के बाद आयुष पूरे कपड़े उतार कर नहाते हैं और फिर कोई सामान छूते हैं। समय-समय पर खुद की कोरोना जांच भी करते हैं और उनकी रिपोर्ट निगेटिव रही है।

बेसिक हेल्थ वर्कर (बीएचडब्ल्यू) ज्ञान प्रकाश 18 मार्च के बाद से ही कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। कभी सर्विलांस टीम के सदस्य के तौर पर तो कभी आरआरटी का हिस्सा बन कर उन्हें कोविड बहुल इलाकों में जाना पड़ा लेकिन सतर्कता के कारण वह भी कोरोना से बचे हुए हैं।

ज्ञान प्रकाश का कहना है कि वह सुबह उठ कर योग व्यायाम करते हैं और फिर पूरे परिवार के लिए काढ़ा तैयार करते हैं। गिलोय और अश्वगंधा का सेवन करते हैं।

जब घर में प्रवेश करते हैं तो बाहर से आई हर सामान सैनिटाइज करते हैं। खासतौर से पर्स और रुपये को। क्षेत्र में चश्मे का इस्तेमाल करते हैं और उसे सैनिटाइज भी करते हैं।

लैब टेक्निशियन नवीन का कहना है कि बीमारी का खात्मा सावधानी से होगा न कि भेदभाव या किसी प्रकार की भ्रांति से। जो घर में और बाहर दोनों जगहों पर सतर्क रहेगा वह बीमार नहीं होगा।

हाथों की नियमित सफाई और कम से कम स्पर्श करने का व्यवहार अपना कर ही बीमारी से बचाव होगा। सभी को यह बर्ताव अपनाना चाहिए।

हर सामने वाले को कोरोना मरीज मान कर सावधानी रखनी होगी। सावधानी के कारण ही वह भी जांच में कोरोना निगेटिव रहे हैं।