क्या लखनऊ का युवराज,दिल्ली पर करेगा राज !

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नीतीश/आयुष
गोरखपुर।

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भारत की राजनीति में अगर बात युवराज की होती हैं,तो सबकी नज़र कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी पर जाकर ठहर जाती है।लेकिन जनाब जरा ठहरिए,हम उस युवराज की बात नहीं कर रहे है बल्कि हम बात कर रहे है समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की।जी हां,अगर किसी भी राजनेता को दिल्ली के सिंहासन तक कब्जा जमाना हो तो उसको यूपी से होकर ही गुजरना होगा।क्योंकि देश में सबसे ज्यादा लोकसभा की सीट यूपी में है,80 सीटें।क्योंकि अगर हम बात करे 2014 के लोकसभा चुनाव कि तो बीजेपी को 80 में से 73 सीट मिली थी जबकि कांग्रेस पार्टी मात्र 2 सीटो पर ही सिमट गयी थीं।ये दोनों सीट कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और उनकी माता सोनिया गांधी की थी।2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की यूपी में 23 सीटें थी,तभी तो कांग्रेस देश में सरकार बना पायी।
लेकिन ये पार्टी को समझना होगा कि देश में कांग्रेस की जमीन खिसकती जा रही है और बीजेपी के बाद क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है।अगर हम बात करे दिल्ली,त्रिपुरा,पश्चिम बंगाल की तो यहा कांग्रेस सत्ता में भले ही ना रहती हो पर कम से कम मुख्य विपक्षी दल हुआ करती थी। लेकिन उन प्रदेशों में भी बीजेपी के उदय के बाद कांग्रेस तीसरे पायदान पर खिसक गयी।अब जरा सोचिए,अगर बसपा और सपा का गठबंधन 2018 के उपचुनाव के बाद 2019 में भी जारी रहा,तो कांग्रेस का क्या होगा?
अगर यह गठबंधन लोकसभा चुनाव में 50 से ऊपर सीट जीत जाती है और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों को मिला दे,तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का क्या होगा?भले ही कांग्रेस पार्टी इस उपचुनाव में बीजेपी के हार से खुश हैं और वो क्षेत्रीय दलों के साथ इस उपचुनाव की जीत पर खुशी मना रहे है पर कहीं ना कहीं ये कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे की घण्टी हैं, क्योंकि यूपी से किसी राष्ट्रीय पार्टी का वजूद मिट रहा हैं।यह उपचुनाव बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस के मुँह पर भी तमाचा है क्योंकि अगर कांग्रेस 2019 के लिए वाकई गंभीर है,तो उसे भी अपना आकलन करना होगा।क्योंकि यह गठबंधन कही ना कही राष्ट्रीय पार्टी के लिए खतरे की घण्टी हैं।