गोरखपुर। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक अफवाह चल रही है जिसमें कहा जा रहा की “गीताप्रेस आर्थिक तंगी से जूझ रहा है हमें आपके आर्थिक मदद की जरूरत है”
सोशल मीडिया पर चल रही इन अफवाहों का खंडन करते हुए ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा- “गीताप्रेस में न तो आर्थिक संकट है न ही प्रेस बंद है। पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। गीताप्रेस किसी तरह का अनुदान या आर्थिक मदद नहीं लेता है।”
इस पर अफवाह पर गीताप्रेस प्रबंधन ने भी बुधवार को विज्ञप्ति जारी कहा कि कुछ संगठित क्षेत्र के लोग सोशल मीडिया पर आर्थिक संकट के कारण गीताप्रेस के बंद होने की अफवाह फैला रहे हैं।
गीताप्रेस की मदद के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही है। ऐसे लोगों से सावधान रहें। संस्था किसी तरह का अनुदान स्वीकार नहीं करती है।
बता दें कि वर्ष 2015 में वेतन को लेकर असंतोष के चलते कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। विवाद आगे न बढ़े, इसके लिए प्रबंधन ने प्रेस बंद कर दिया था। हालांकि दस दिन में समझौता हो जाने के बाद प्रेस का काम सुचारू हो गया।
उसी दौरान मेरठ, दिल्ली, कोलकाता में कुछ लोगों ने गीताप्रेस के बंद होने का संदेश सोशल मीडिया पर प्रसारित कर चंदा मांगना शुरू कर दिया। गीताप्रेस से जुड़े लोगों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रबंधन से बात कही।
आपको बता दें इसी पुराने संदेश की आड़ में लोग चंदा वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। गीताप्रेस ने बैंक खाता बंद कर दिया, जिससे कि कोई इसमें रुपये जमा न कर सके।
गीताप्रेस ने इसकी सूचना भी प्रसारित करा दी कि कोई आर्थिक संकट नहीं है और संस्था किसी से चंदा या अनुदान नहीं लेती।