कोरोना वायरस के अफवाह से पोल्ट्री फार्म उद्योग हुआ धड़ाम, 25 रुपये बिक रहा मुर्गा

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गोरखपुर के ग्रामीण अँचलों में खड़ा मुर्गा 25 रुपये और मुर्गे का मीट 50 रुपये प्रति किलो बेचने के बाद भी खरीददार दुकानों पर नजर नहीं आ रहे। यह कोरोना वायरस को लेकर लोगों में दहशत कहिए या अफवाह। पर इससे जुड़े कारोबारियों के होश फाख्ता है।दिन भर दुकानों पर ग्राहकों को इंतजार करने वाले दुकानदार ग्राहकों को न देख अपना माथा पीट रहे हैं। गोरखपुर के दक्षिणांचल में खजनी,ढेबरा,महदेवा,सिकरीगंज, बेलघाट उरुवा, गोला आदि क्षेत्रों में लगभग 500 पोल्ट्री फार्म उद्योग हैं।

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कोरोना वायरस के डर से पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह ग्रामीण अँचलों में चौपट हो चुका है।इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों में इस बार होली के त्योहार में पूंजी भी न निकल पाने सका भय सता रहा है। चूजों,दाना व उनके रख-रखाव में आई लागत भी न निकलने के डर से होली के त्योहार के पहले ही उरुवा व धुरियापार कस्बे में मुर्गे का मीट 80 से 100 रुपये किलो बेचने के बाद भी चिकेन के शौकीन खरीददारों की झलक भी उक्त दुकानों पर नहीं दिख रहा।हालांकि गाँवो में खड़ा मुर्गा 25 तथा मीट 50 रुपये प्रति किलो बिकने की चर्चा जोरों पर है।

चिकन पर इस वायरस का असर न होने के बावजूद अफवाह और डर के चलते मांसाहार के शौकीनों ने चिकन से दूरी बना ली है। नतीजा है कि गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र में मुर्गे की डिमांड 80 फीसद घट गई है।

आपूर्ति के मुकाबले उत्पादन ज्यादा होने से कीमतों में आई गिरावट ने कारोबारियों को चिंता में डाल दिया है।
इस सम्बंध में उरुवा के बड़े पोल्ट्री उद्योग कारोबारी असलम अली ने बताया कि अफवाहों का बुरा असर व्यसाय पर इस कदर पड़ा है कि उद्योग में 100 प्रतिशत लगी पूंजी में 30 प्रतिशत ही आ पा रहा।सरकार पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देती है लेकिन कोरोना वायरस के अफवाह और भय को दूर नहीं कर पा रही है।

रिपोर्ट: सुनील गहलोत