नीतीश गुप्ता, गोरखपुर। पूरे देशभर में कोरोना का कहर जारी है। आए दिन देश में हजारों केस कोरोना के सामने आ रहे हैं जिनमें मरने वालों की संख्या भी शामिल है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आये दिन कोरोना को लेकर टीवी पर जनता को संबोधित भी कर रहे हैं मगर जब वो खुद भारी भीड़ को खुलेआम संबोधित करते तो लोगों के मन में सवाल ये खड़ा होता है कि क्या मोदी सरकार कोरोना को लेकर गंभीर है या फिर बस तमाम बातें टीवी तक ही सीमित है?
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सवाल भी लाजमी है क्योंकि कुछ नवंबर माह में बिहार में हुए चुनाव ने इसपर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। बिहार चुनाव में खुलेआम कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी थी। पार्टी चाहे जो भी हो चुनाव के समय सभी ने कोरोना को मजाक बनाकर रख दिया था।
देश के प्रधानमंत्री खुद हजारों लोगों को चुनाव रैली में भाषण देते नजर आए वो अलग बात है कि बात बात में वो कोरोना को लेकर लोगों को जागरूक भी कर रहे थे कि आपस में सोशल डिस्टेंस मेन्टेन रखे रहें।
बिहार चुनाव खत्म होने के बाद जब परिणाम घोषित हुआ तो जीत NDA की हुई और फिर क्या बिहार का जश्न दिल्ली में मनाने के लिए बीजेपी ने मुख्यालय पर भव्य आयोजन रखा जिसका नाम दिया गया “धन्यवाद बिहार”।
पीएम पर सवाल इसलिए उठ रहा क्योंकि उन्हें दिल्ली की स्थिति पता थी बावजूद इसके उन्होंने बीजेपी मुख्यालय पर हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ इक्क्ठा कर धन्यवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें देश के गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई दिग्गज नेता मोजूद थे।
ये सब हुआ तब महामारी एक्ट का कोई मायने नहीं था क्योंकि कार्यक्रम खुद सत्ताधारियों का था।
अब बारी हैदराबाद और पश्चिम बंगाल की है। दोनों ही जगह आये दिन सत्ता में बैठे बड़े मंत्री सहित मुख्यमंत्री वहां का दौरा कर रहे, रोड शो कर रहे जिसमें हजारों लोगों की भीड़ इक्क्ठा हो रही लेकिन उस समय कोरोना को लेकर टीवी पर बड़ी बड़ी बात करने वाले मंत्री जी लोगों को कोरोना का डर नहीं सता रहा।
सवाल तो खड़ा होगा ही क्योंकि जिस तरह से कोरोना को लेकर सरकार का दोहरा चरित्र सामने आ रहा है सवाल हर कोई करेगा।
याद करिये मार्च का वो महीना जब कोरोना ने देश में अभी कायदे से दस्तक भी नहीं दिया था। देश के पीएम नरेंद्र मोदी टीवी पर आकर देशभर में जनता कर्फ्यू का ऐलान कर देते हैं और फिर इसी के बाद शुरू होता है खेल लॉकडाउन का।
पूरे देशभर में लॉकडाउन लग जाता है लाखों करोड़ों लोग जहां तहां फंस जाते हैं, लोगों की नौकरियां चली गयी, हजारों लोग बेघर हो गए, हजारों परिवार की स्थिति खराब हो गयी। धीरे धीरे समय बीतता गया और फिर लंबे समय के बाद लॉक डाउन हटाया गया लेकिन कई शर्तों के साथ।
देश के पीएम आये दिन फिर टीवी पर आकर जनता को संबोधित करते रहे और कोरोना को लेकर लोगों को सावधान करते रहे। लोगों ने भी सरकार की बात मानी मगर ये तब खत्म हो गया जब लोगों ने खुद सत्ता पर बैठे लोगों को कोरोना नियमों का उपहास उड़ाते देखा।
आज स्थिति ये है कि कोरोना को लेकर केसेस भले ही बढ़ रहे हो मगर लोग अब इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। ऐसा लगता है जैसे मानों लोगों का विश्वास सरकार से उठ गया है क्योंकि सरकार के लोग खुद ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
खैर आये दिन जिस तरीके से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो देखना दिलचस्प होगा कि देश के प्रधानमंत्री जो आये दिन इसको लेकर लोगों को सचेत करते रहते है वो खुद क्या कोरोना के प्रति गंभीर होंगे?