हाथरस कांड में सरकार की लापरवाहियों की पोल रोज खुलती जा रही है। आज सुबह से ही पुलिस ने बैरिकेडिंग कर पीड़ित के गांव में मीडिया सहित किसी भी बाहरी लोगों के प्रवेश पर सख्ती से रोक लगा दिया।
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ऐसे में सवाल उठने लगे कि ऐसा क्या है जिसे छुपाने के लिए सरकार किसी को भी अंदर नहीं जाने दे रही है।
बड़ी से बड़ी घटना होने भी मीडिया को रिपोर्टिंग करने की छूट होती है, लेकिन इस मामले में जिस तरह से सख्ती दिखाई जा रही है उससे प्रदेश सरकार पर सवाल उठने लगे हैं।
कल पीड़िता के परिवार को धमकाते हुए गुरुवार को एसडीएम का वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद अब आज पीड़िता के भाई का बयान सामने आया है।
पीड़िता के भाई ने कहा है कि गांव में पुलिस प्रशासन ने उनके मोबाइल फोन स्विच ऑफ करा दिए हैं ।
कथित तौर पर पीड़ित के भाई ने अपने परिजनों के साथ पुलिस द्वारा मारपीट का भी आरोप लगाया है ।
उन्होंने बताया कि वह खेतों के रास्ते घर से निकल कर किसी तरह बाहर भाग कर आया है।
आपको बता दें कि हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के सामने आने के बाद से ही माहौल गर्म है।
राहुल और प्रियंका गांधी के विरोध प्रदर्शन के बाद हाथरस में धारा 144 लागू कर दी गई है।
बिटिया के गांव जाने वाले सभी रास्तों पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
इस संबंध में शुक्रवार को एसडीएम सदर प्रेम प्रकाश मीणा ने यह बात स्वीकार की है कि प्रशासन द्वारा मीडिया, नेता व अन्य अधिकारियों को गांव के अंदर जाने से रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा है कि बिटिया के गांव के अंदर एसआईटी की जांच चल रही है।
इस वजह से मीडियाकर्मी व अन्य राजनीतिक दलों के आए हुए प्रतिनिधि मंडलों को नहीं जाने दिया जा रहा है।
मालूम हो कि बिटिया के गांव के बाहर जाने वाले सभी रास्तों पर काफी पुलिस फोर्स तैनात है।
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता वहां आ रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें बिटिया के गांव तक नहीं जाने दे रही।
इससे पहले अलीगढ़ रेंज के आईजी पीयूष मोर्डिया ने बताया था कि हाथरस में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू की गई है।
पीड़िता के गांव की तरफ जाने वाले रास्तों को सील कर दिया गया है। विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है।