गगहा। जनपद के दक्षिणांचल में स्थित गगहा बाजार में नवनिर्मित फोरलेन के बगल में स्थापित दुर्गामंदिर (मील का परिसर) में कई दशकों से आयोजित होने वाला दंगल पहलवानों के मल्ल कला के प्रदर्शन का केन्द्र बन गया है।
इस दंगल में प्रतिभाग करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों के पहलवान दुर्गापूजा व दशहरा मेला के महीनों पूर्व से दंगल लड़ने की तैयारी शुरू कर देते हैं, इतना ही नहीं इस आयोजन को देखने के लिए दर्शक भी अपना दैनिक कार्य छोड़ दंगल देखने पहुँचते हैं।
बताते चलें कि, गगहा में मील पर होने वाले दंगल को स्व.बाबू भोला सिंह के बड़े पुत्र गगहा के पूर्व प्रमुख जयवीर सिंह बड़े ही तन्मयता से कराते हैं।
जिसमें उनके छोटे भाई एवं हटवा के पूर्व प्रधान व माँदुर्गामन्दिर के ब्यवस्थापक रणबीर सिंह (बबलू) का काफी सहयोग रहता है जो आयोजन के सप्ताह पूर्व अखाड़े को सजाने में लग जाते हैं.
यही कारण है कि अन्य जगहों पर होने वाली कुश्ती प्रतियोगिता से यहां का आयोजन भिन्न होता है.
दुर्गापूजा के अवसर पर नवरात्र के पवित्र समय में नवमीं के दिन मन्दिर के बगल में विराट दंगल का आयोजन किया जाता है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे बड़े पहलवानों को लड़ने का अवसर अवश्य दिया जाता है.
वैसे तो इस आयोजन में गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, वाराणसी सहित पूर्वांचल के भिन्न-भिन्न जनपदों के अच्छे पहलवान भी अपना दाँव आजमाते हैं इस प्रतियोगिता के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है।
कभी इसी अखाड़े पर कुश्ती के महाबली कहे जाने वाले भारत भीम जनार्दन सिंह ने अपनी कला के प्रदर्शन से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटा था.
इस प्रतियोगिता का आयोजन शुरुआत काल से ही एक ही परिवार के लोग क्षेत्रीय जनता के सहयोग से कराते आ रहे हैं और लंबे समय से हर वर्ष होने वाला यह दंगल ग्रामीण क्षेत्र में नयी इबारत लिख रहा है.
गगहा की माटी के लाल भाजपा के वरिष्ठ नेता राकेश सिंह पहलवान भी इस अखाड़े पर जोर आजमाइश कर चुके हैं वह भी इसी परिवार के सदस्य हैं जो पूर्वांचल सहित कई देशों में अपनी कुश्ती का लोहा मनवा चुके हैं।
सन1969 में शुरू हुआ था दंगल का आयोजन
गगहा के मील प्रांगण में आयोजित होने वाले दंगल का आयोजन पहली बार सन 1969 में तब किया गया जब मील परिसर के बगल में माँ दुर्गा जी मूर्ति की स्थापना हो गयी और वह मन्दिर में विराजमान हो गयीं.
तभी से हटवा गाँव निवासी स्व.रामबचन सिंह ने स्वयं की भूमि पर अखाड़ा का निर्माण कराकर दंगल का शुभारंभ कराया जिसे बाद के दिनों में उनके पुत्र जिनका समाजसेवा में अतुलनीय योगदान है।
स्व.रमाशंकर सिंह ऊर्फ भोला सिंह जिन्हें पूरा क्षेत्र प्यार से दादा कहता था उन्होंने कुश्ती प्रतियोगिता को आगे बढ़ाया आज भी उन्हीं के वंशजों द्वारा प्रत्येक वर्ष दंगल का आयोजन किया जाता है। जिसमें क्षेत्रीय दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ती है.
एक सवाल के जवाब में दंगल के आयोजक पूर्व प्रमुख जयवीर सिंह ने बताया कि चूँकि यह प्रतियोगिता मेरे पूर्वजों द्वारा शुरू की गयी है अतः हरहाल में इसे आगे बढ़ाने के लिये कृतसंकल्पित हूँ.उन्होंने 14 अक्टूबर को आयोजित इस दंगल में क्षेत्रीय जनता से पहुँचने की अपील किया है.
पुराने पहलवानों का होता है सम्मान
गगहा के दंगल प्रतियोगिता में आयोजकों द्वारा एक नयी परम्परा की शुरुआत भी की गई है एक तरफ जहां गांवों से कुश्ती का आयोजन मृतप्राय हो रहा है, प्रतिभाएं आयोजनों के अभाव में इस कला से मुँह मोड़ रही हैं माटी से जुड़ी इस विधा का प्रचलन भी कम देखने को मिल रहा है तो वहीं इस प्रतियोगिता में पुराने पहलवानों को इस अवसर पर सम्मानित किया जाता है, जिससे कि नए पहलवान उनके बारे में जान सकें और प्रतिभागियों के हौसले और बुलंद हो सकें.