हल्का बुखार भी कभी बहुत भारी पड़ सकता है इसके लिए आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

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ज्ञान चतुर्वेदी

बुखार को कभी-भी बिना ठीक-सा विशेषण लगाए नहीं बताया जाता. मामूली बुखार, हड्डी-तोड़ बुखार, ऐसा तेज बुखार कि जैसा कभी हमें जिंदगी में हुआ ही नहीं, हल्का बुखार, मियादी बुखार आदि कई तरह से मरीज इसके बारे में बताता है. बुखार को लेकर इतनी तरह की गलतफहमियां हैं, बतकहियां हैं और चिकित्सा विज्ञान की सीमाएं हैं कि इस मामूली-सी प्रतीत होती बीमारी के इन पक्षों को जानना जरूरी हो जाता है.

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पहली बात तो यह समझी जाए कि कोई भी, कितना भी कम बुखार हो, वह कभी मामूली नहीं होता. हर बुखार इस बात की घोषणा है कि शरीर में कुछ ऐसा गलत हो रहा है जिससे लड़ने के शरीर के अपने हथियारों के चलने के कारण यह गर्मी पैदा हो रही है. बल्कि हल्के बुखार कई मायनों में ज्यादा खतरनाक हैं. थोड़ा-थोड़ा बुखार हो रहा हो तो कई बार आदमी लंबे समय तक इसकी परवाह ही नहीं करता और बाद में बीमारी बढ़ाकर डॉक्टर के पास पहुंचता है.

दूसरी बात यह कि हल्के-हल्के निन्यान्वे सौ वाले, कभी-कभी आने वाले बुखारों की जड़ में बेहद खतरनाक यानी जानलेवा होने की हद तक खतरनाक कारण भी हो सकते हैं. टीबी, एड्स, कई तरह के कैंसर, आंतों की बीमारियां, यहां-वहां पनपती पस (मवाद) आदि किसी के कारण भी ऐसा हो सकता है. प्राय: यह हल्का बुखार विभिन्न तरह की जांचों में आपके खासे पैसे लगवा सकता है. हो सकता है कि तब भी डॉक्टर किसी ठीक नतीजे पर न पहुंच पाएं और आप डॉक्टरों की जमात को ही कहते फिरें कि स्साले यहां-वहां से कट लेने के लिए ऐसा करते रहते हैं.

हल्का बुखार गठिया से लेकर साइकोलोसिस फीवर तक, कुछ भी हो सकता है. हो सकता है ऐसे मामलों डॉक्टर भी कुछ जांचों का सुझाव न दे पाए और दो माह बाद पता चले कि बुखार वाले मरीज को तो हड्डी में टीबी थी या आंतों में कैंसर था. कुल मिलाकर कहना यह है कि हल्के बुखार को कभी-भी हल्के में न लें. हमेशा किसी बहुत अच्छे डॉक्टर से इस पर सलाह लें क्योंकि मामूली बुखारों की डायग्नोसिस के लिए गैर-मामूली डॉक्टर ही चाहिए जो इस जटिल चीज को समझता हो.

इससे भी पूर्व मैं सलाह दूंगा कि बुखार लगे तो थर्मामीटर से नापकर कागज पर लिख लें. डॉक्टर को इस जानकारी से बड़ी मदद मिलेगी. बहुत से मरीज कहते हैं कि हमारा हड्डी का बुखार है या अंदरूनी बुखार है जो रहता तो है पर किसी थर्मामीटर में नहीं आ पाता. इस बारे में आप यह बात गांठ बांध लें कि ऐसा कोई बुखार नहीं होता जो थर्मामीटर में रिकॉर्ड न हो.

हालांकि बुखार जैसा लगने के पचासों और भी कारण हो सकते हैं और तब उनका इलाज भी कुछ अलग ही होगा. अगर आप बुखार की बात कहें और कोई डॉक्टर यह सुनकर ही उसकी दवा दे दे तो यह ठीक नहीं है. तो पहले यह तय करें कि बुखार है कि नहीं. जब भी बुखार जैसा लगे तब उसे नापें और फिर यह जानकारी डॉक्टर से साझा करें.