महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से समाजशास्त्र विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय एवं समाजशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में “Engendering Budget and Inclusive Development” विषय पर तीन दिवसीय स्टेट लेवल वर्कशॉप के समापन सत्र का आयोजन किया गया।
समापन सत्र के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व आई.ए.एस. एवं यूनिसेफ में सलाहकार श्री अरविन्द नारायण मिश्रा ने कहा कि आज प्रत्येक पढ़ी-लिखी महिला को सम्पूर्ण महिला समुदाय के लिए स्वयंसेवक के रूप में कार्य करना चाहिए। वर्तमान में 3 लाख 80 करोड का बजट सरकार से पास हुआ है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहा। सामाजिक परिवर्तन के लिए सिर्फ कानून से कार्य नही होता, सरकार के कार्य सीमित होते हैं। समाज को भी जिम्मेदारी उठाने पड़ेगी तभी महिलाओं की स्थिति में वास्तविक सुधार लाया जा सकता है। वास्तविक सबके लिए जरुरी है लोगों की जागरूकता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का, अन्यथा नतीजा शून्य ही आएगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. चितरंजन मिश्र, पूर्व प्रति कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा एवं पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग, दी द उ गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर ने कहा कि दुनियां के आगे बढ़ने की एक गति होती है। विकास का पहला सूत्र है -समानता। असमानता जितनी ही होगी दुनिया मे अनाचार उतना बढ़ेगा। दुनिया में जितने विभाजन हैं, उसमें सबसे बड़ा विभाजन स्त्री पुरुष का है। स्त्री को सेवा का पर्याय समझा जाने लगा है। स्त्री आज भी गुलाम है जबकि पुरुष आजाद हो गया। यह आजादी एक धोखा है। गैर बराबरी बढ़ने से स्वाधीनता खण्डित होती है। स्वाधीनता की रक्षा के लिए समानता आवश्यक है। इसका आरम्भ स्त्री-पुरुष समानता से होता है। हमें समानता की ओर बढ़ने की गति को और तीव्र करना होगा।
विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र प्रो. मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 1970 के आस पास फेमिनिज्म का दौर पश्चिमी देशों से आरम्भ हुआ जिसके तीसरे चरण का आरम्भ बीजिंग कांफ्रेंस चीन से हुआ, जो कि बहुत ही शक्तिशाली पहल रही। इस कांफ्रेंस के बाद ही इंटर्सेक्शनिलिटी एप्रोच का विकास हुआ। इसे उत्तर आधुनिक नारीवाद कहते है। वैसे भारत में महिला विमर्श का प्रस्थान बिंदु अलग है।
कार्यक्रम के एक सत्र को डॉ. श्याम धर त्रिपाठी, सहायक आयुक्त, आयकर विभाग ने संबोधित किया और स्वच्छता अभियान में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में जेंडर बजटिंग के एक्सपर्ट के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. शैलेन्द्र कुमार, डॉ. संतोष कुमार सिंह एवं डॉ. दीपेश कुमार राय की विशेष उपस्थिति रही।
कार्यशाला के तीसरे दिन विभिन्न सत्रों में जेंडर बजटिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान प्रो विनोद कुमार श्रीवास्तव, प्रो. राम प्रकाश, प्रो सुभि, प्रो अंजू, डॉ, प्रमोद शुक्ला,डॉ. मनीष पांडेय डॉ पवन कुमार, प्रकाश प्रियदर्शी, दीपेंद्र मोहन सिंह, चक्रपाणि ओझा, विभूति नारायण ओझा, चंद्रशेखर, गौरी पांडेय, मेनका, डॉ. शिशिर कुमार पाण्डेय, डॉ अरविंद पांडेय, डॉ सत्यवान यादव, समेत शिक्षक, शोधार्थियों एवं विभिन्न एनजीओ के सदस्यों सहित 50 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहें