करण
गोरखपुर।
भले ही देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वच्छता अभियान पर जोर दे रहे हो परन्तु ज़मीनी हक़ीक़त क्या हैं इससे कोई भी अनिभिज्ञ नहीं है।भले की कागज़ों पर शहर को साफ सुथरा बताया दिया जाता हो परन्तु ज़नाब जरा मोटरगाड़ी से उतर कर सड़को पर नजर तो डालिये सच्चाई सामने आ जायेगी।जी हां हम ऐसा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि शहर का वीआईपी इलाका ही गंदगियों से भरा है।हाल में किये गये स्वच्छता सर्वेक्षण में भले ही गोरखपुर को 282 वां स्थान मिला है लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाये तो गोरखपुर के अस्सी फीसदी इलाकों में गंदगी का अंबार लगा रहता है।
नालियां चोक रहती है,यहां तक की गोरखपुर की ह्रदयस्थली माना जाने वाला क्षेत्र गोलघर व वीआईपी रिहाईशी इलाका सिविल लाईन्स की नालियों का हाल बदतर है। नगर निगम क्या सफाई करा रहा ये तो वो ही जाने क्योंकि सफाई कारगर सिद्ध होती नही दिख रही है। इस बाबत अधिकारियों को भी कड़ा रूख अपनाना होगा।कम से कम शहर के मुख्य इलाकों जैसे गोलघर,सिविल लाईन्स,टाऊनहाल आदि की नालियां तो जाम न हों। प्रशासन के साथ ही जनता को भी जागरूक होना होगा जो बरसों से सफाई के मामले में नीरस बैठी हुई है।तब कहीं जाकर गोरखपुर स्वच्छता के मामले में कहीं बेहतर हो पायेगा।