आयुष द्विवेदी
पूर्व सांसद बालेश्वर यादव की राजनीतिक शुरूवात छात्र राजनीति से हुई और उन्होंने समाजवादी आंदोलनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा भी लिया।पडरौना लोकसभा से गठबंधन ने नथुनी कुशवाहा को उम्मीदवार घोषित किया है लेकिन अभी भी बालेश्वर को आस है कि शिर्ष आलाकमान उनकी बातों को सुनेगा। गोरखपुर लाइव से बातचीत में बालेश्वर कहते है कि शिर्ष नेतृत्व जरूर उनकी बात को सुनेगा ।जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या ऐसा उम्मीद है कि गठबंधन से प्रत्याशी को बदला जाएगा ? तो उनका कहना था कि निश्चित तौर पर उनकी बात को सुना जाएगा और अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो गठबंधन की जीत होगी लेकिन उन्होंने निर्दलीय लड़ने से इनकार किया वह अब सब कुछ अखिलेश यादव पर छोड़ दिए है।
आपको बताते चले कि यह वही बालेश्वर है जिनको लोग मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में मिनी मुख्यमंत्री भी कहते थे ।बालेश्वर यादव का खुद का जनाधार है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है कि 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनकी टिकट काट दी लेकिन उन्होंने 4 बार के सांसद रामनगीना मिश्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को मात दे दी और तो और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रामअवध यादव को बहुत ही कम वोट मिले थे। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बालेश्वर का मजबूत जनाधार गठबंधन को और फायदा पंहुचा सकता था लेकिन उनका टिकट कटना गठबंधन के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। अब आगे जो भी हो लेकिन कुशीनगर सीट पर अगर बालेश्वर बागी हो गए तो कुशीनगर के बहुत सारे समीकरण धराशायी हो सकते है।