गुनाहों से माफी की शब–ए–बारात आज
इस्लामी तारीख की माह शाबान की 15 तारीख को शब-ए-बारात के नाम से जाना जाता है। इस दिन सभी मुसलमान नहा धोकर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और कब्रिस्तान पर इंतकाल फरमा चुके लोगों के लिए दुआएं मांगते हैं।
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शबे बारात का मतलब होता है छुटकारे की रात मजहबी इस्लाम में इस रात की काफी अहमियत बयान की गई है। इस रात में साल भर के होने वाले तमाम काम बांटे जाते हैं जैसे कौन पैदा होगा कौन मरेगा, किसे कितनी रोजी मिलेगी आदि यह सारी चीजें इसी रात को दी जाती हैं। इस दिन शहर की छोटी से लेकर बड़ी मस्जिद घरों में लोग इबादत करते हैं।
इस मुबारक रात में गुस्ल करना इबादत के वास्ते अच्छे कपड़े पहनना सुर्मा व इत्र लगाना कजा नफिल नमाज़ पढ़ना। फातिया दिलाना कब्रिस्तान जाकर फातिया पढ़ना, मुर्दों की मगफिरत के लिए दुआ करना, बेहतर अमाल है।