क्या इस बार टिकेगा सपा-बसपा का गठबंधन?

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प्रकाशिनि मणि त्रिपाठी

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गोरखपुर

भारत की जनता को ऐसा प्रधानमंत्री नही चाहिए जो सिर्फ एक पार्टी को हराने के लिए आपस में साथ पकड़ता है यह कहना है लोगो का। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन की थी और चुनावी हार के बाद लोग सभा चुनाव में यूपी के 76 सीटों के लिए बसपा के साथ गठबंधन की है आपको बता दे कि सपा और बसपा का गठबंधन इसके पहले एक बार और हो चूका है वर्ष 1993 में यूपी के विधान सभा चुनाव के समय लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन तक टिक नही पाया और 1995 में तब टूट गया जब सपा के कार्यकर्ताओं ने बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ बदसलूकी की उस समय मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए वो गठबंधन तो ज्यादा दिन नही टिक पाया अब देखना यह होगा की बसपा सुप्रीमो ने अपने साथ हुए बड्सलुकी को भूल कर एक बार फिर बुआ ने भतीजे का साथ पकड़ा ये जोड़ी कितनी असरदार होगी वो तो चुनाव के परिणाम के बाद ही पता चलेगा वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने एकला चलो का राह अपना लिया है हो भी क्यों न क्योकि कांग्रेस ने अभी हाल ही में हुए विधान सभा के चुनाव में अपनी सत्ता को कायम रखा है और उसे आशा ह की अपनी ये जीत लोकसभा चुनाव में भी बनाये रखेगा इससे पता चल रहा है कि सभी पार्टियां अपनी सत्ता को कायम करना चाहती है न की जनता की आवाज़ बनना अब ये आम जनता के ऊपर निर्भर करता है की वो किसको सत्ता में लायेगी क्या जनता नेताओ के फ़ांस में आकर वोट करेगी या उनके कार्यो को ध्यान में रखकर वोट देगी।