यह कहना बेहद मुश्किल है कि वेलेंटाइन डे का इंतजार प्रेमियों को ज्यादा रहता है या फिर कार्ड और गिफ्ट बाजार को. जिन गिफ्टों के लिए ‘प्राइसलेस‘ लिखा जाता है वे असल में उतने ही ज्यादा प्राइस के हैं! भारत में कार्ड और फूल से शुरू हुआ वेलेंटाइन डे के तोहफों का कारोबार आज सोने, चांदी और हीरे से होता हुआ अरबों रुपये तक पहुंच गया है.
लेकिन इन सबसे अलग ऐसा तोहफा भी है जो सच में प्राइसलेस या अनमोल है. जिसे दुनिया का कोई बाजार नहीं बेचता. जिसका ऑर्डर आप किसी साइट पर नहीं दे सकते. जिसके मुरझाने, खोने या टूटने-फूटने का डर नहीं. जो कहीं छूट नहीं सकता और जिसे कोई आपसे चुरा नहीं सकता. वह बेशकीमती तोहफा है ‘आदत‘ का. तोहफे के रूप में कोई अच्छी आदत डालने का या कोई बुरी आदत छोड़ने का.
हम प्यार में अक्सर अपने प्रिय को कुछ अनूठा देना चाहते हैं, ऐसा जो कभी किसी ने किसी को न दिया हो. हैबिट यानी आदत एक ऐसा ही उपहार हो सकता है. आप अपने वेलेंटाइन के प्रति अगाध प्रेम में उसकी पसंद और खुशी से कोई आदत हमेशा के लिए अपना सकते हैं या उसको सख्त नापसंद कोई आदत छोड़ सकते हैं. कहना आसान है लेकिन ऐसा करना बेहद जटिल और चुनौती भरा काम है.
भावनात्मक चीजों में सुख है जबकि भौतिक चीजों में ऐसी खुशी जो सामाजिक दिखावे की भावना से पैदा होती है. सुख और आनंद तुलनात्मक रूप से स्थाई भाव हैं जबकि ऐसी खुशी क्षण में भंगुर हो जाने वाली चीज है. किसी प्रियजन द्वारा दिया जाने वाला प्रेम निहायत निजी मामला है. इसमें किसी सामाजिक दिखावे का स्थान नहीं होना चाहिए. इसलिए अपने प्रेमी/प्रेमिका के लिए यदि हम कोई आदत अपनाते या छोड़ते हैं तो यह बेहद आत्मीय स्नेह और समर्पण से उपजा सुखदायी अहसास होगा.
यह तोहफा जाति और वर्ग की बंदिशों से परे समाज में सभी के लिए समान रूप से लुभावना है. खासतौर से उस मिडिल क्लास के लिए जहां प्रेम के प्रदर्शन पर कड़े पहरे हैं. ऐसे में इस अदृश्य तोहफे के साथ आप गुदगुदाते हुए घर में घुस सकते हैं कि आपके प्रति प्रेम में आपके प्रेमी/प्रेमिका ने एक वादा किया है.
प्रेम में किसी के लिए आदत अपना लेने या छोड़ने का मामला न सिर्फ एक बेशकीमती तोहफा हो सकता है, बल्कि यह साल-दर-साल दो प्रेमियों का तालमेल बेहतर होने से भी जुड़ा हुआ है. वेलेंटाइन डे पर दिया जाने वाला और कोई भी तोहफा इसमें आपकी मदद नहीं करता.
आज बाजार की चकाचौंध, लुभावनी खूबसूरत पैंकिग और वस्तुवाद के चरम का दौर है. लेकिन इसके बावजूद प्रेम जैसी अभौतिक यानी ‘नॉन मेटिरियल‘ चीज आज भी हिट है. प्रेम की तरह ‘आदत‘ भी एक ‘नॉन मेटिरियल‘ चीज है. जिस पर बाजार अच्छी गुणवत्ता की सील नहीं लगा सकता. न ही चमकीले रंग के खूबसूरत पैकिंग पेपर में इसे लपेटा जा सकता है.
जैसे प्रेम का कोई रंग, रूप, आकार नहीं होता वैसे ही आदतें भी रंगहीन, रूपहीन और आकारहीन होती हैं. प्रेम और आदतें दोनों ही निहायत भावना का मसला हैं. इस बार भाव को भाव से सींचकर देखिए. फिर तय करिये कि इश्क बाजारू तोहफे में ज्यादा फलता-फूलता है या आदतों के निराकार और रंगहीन तोहफे से?
इसे सिर्फ वेलेंटाइन और प्रेमी-प्रेमिका तक सीमित करने की बजाय समाज में सभी तरह के अवसरों और रिश्तों के संदर्भ में अपनाया जा सकता है. लेकिन आज बात सिर्फ उन रिश्तों की जो वेलेंटाइन डे के अनुकूल हैं. पुरुष प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं/पत्नियों के लिए कुछ इस तरह की आदतें छोड़ या अपना सकते हैं…
1- पति/प्रेमी अक्सर अपनी पत्नियों/प्रमिकाओं को मजाक में, आदतन या गुस्से में ‘तू पागल है‘, ‘तुझमें अक्ल नहीं है‘, ‘तुझे कुछ नहीं पता‘, ‘अनपढ़ या गंवार है‘ ‘तुम तो रहने ही दो‘ आदि बातें बोलते हैं. ये सब बातें पत्नी/प्रेमिका की भावनाओं और गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं. ये बातें पतियों को सुनने को मिलें तो जाहिर है उन्हें भी बेहद बुरा लगेगा. अपनी इस आदत को स्वीकार कर तुरंत छोड़ने के लिए वादा कर सकते हैं.
2- पति बच्चों के साथ खेलने, एक समय का खाना खिलाने, बच्चों के साथ समय बिताने जैसी कोई आदत डाल सकते हैं. इससे न सिर्फ उनकी जीवनसाथी का चेहरा खिल जाएगा बल्कि पूरे घर का माहौल खुशी से भरा होगा.
3- अपने जूते, बैग, गीला तौलिया, गंदे कपड़े, बैग आदि चीजें खुद ही सही जगह पर रखने की आदत डाल सकते हैं.
4- कई बार प्रेमी अपनी प्रेमिका के दूसरे लड़के से बात करने तक को लेकर बेहद पजेसिव होते हैं. यह पजेसिवनेस आपसी सहजता को कम करती है. इस फालतू की पजेसिवनेस को कम कर के उसे ज्यादा स्पेस दिया जा सकता है.
5- सिगरेट, शराब की आदत छोड़ सकते हैं या कम कर सकते हैं.
6- वीकेंड पर खाना बनाने, या खाना बनाने में सहयोग करने या खाना बनाना सीखने की शुरूआत की जा सकती है.
इसी तरह से पत्नियां/प्रेमिकाएं भी कुछ आदतें सीख या छोड़ सकती हैं…
1- अक्सर पत्नियां कहीं जाने के नाम पर तैयार होने में समय लगाती हैं जिससे अक्सर उनके पति झुंझलाते हैं. वे समय पर तैयार होने की आदत डाल सकती हैं.
2- सोने, चांदी के गहने खरीदने का आग्रह अक्सर पत्नियों की तरफ से रहता है. इसे खत्म या कम से कम किया जा सकता है.
3- पत्नियां/प्रेमिकाएं भी किसी दूसरी लड़की से साधारण बात करने को लेकर भी बहुत पजेसिव रहती हैं. संबंधों की सहजता के लिए इसे खत्म या कम करने की कोशिश की जा सकती है.
4- अपना गुस्सा, खीज या झुंझलाहट निकालने के लिए कईं बार पत्नियां कुछ कमेंट या चुभने वाली बातें बोल देती हैं. ऐसी बातों को सोचकर उन्हें बोलना कम या बंद किया जा सकता है.
5- अक्सर प्रेमियों को शिकायत होती है कि उनकी प्रेमिकाएं उनकी जेब ढीली कराती रहती हैं. इस आदत को खत्म या नियंत्रित किया जा सकता है.
इस तरह की बहुत सारी आदतें हो सकती हैं जो आप प्रेम में अपना सकते हैं या छोड़ सकते हैं. तो इस वेलेंटाइन कुछ नया ट्राइ कीजिए!