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सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले इन दिनों नारियल बेचकर जिंदगी चला रहे

गोरखपुर। कोरोना की मार कहें या सरकारों की लचर व्यवस्था जिनकी मार देशभर के युवा झेल रहे हैं। सरकार अब भले ही कोरोना के जरिये अपनी नाकामी छुपाने पर तुली हो लेकिन सच्चाई यही है कि रोजगार के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह फेल है इस बात को यूपी के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद कबूल की है। श्रम मंत्री ने माना कि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बीते सालों की तुलना में दोगुनी हुई है। हालात ये है कि सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र- छात्राएं परेशान हैं उनके सामने जिंदगी काटने का संकट है। सरकार द्वारा फॉर्म तो भरवा लिया गया मगर पेपर करवाने में सरकार विफल है। साल, दो साल से ऊपर गुजर जा रहे मगर पेपर कब होगा उसका कोई हिसाब नहीं।

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले विद्यार्थी परेशान हैं कि वो करें तो करें क्या? फॉर्म भरे सालों बीत गए मगर पेपर अब तक नहीं हुआ, किसी का पेपर हुआ भी तो कई सालों से रिजल्ट पेंडिंग है वहीं कुछ का रिजल्ट जो आया भी यो वो बेचारा परेशान है कोर्ट की कार्रवाई से क्योंकि भर्ती पर कोर्ट ने रोक लगा रखी है। साल दर साल तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ रही है कम्पटीशन इतना है कि पुराने छात्र नए छात्रों से परेशान हैं तो वहीं नए छात्र पुराने छात्रों से।

ऐसा नहीं है कि छात्र- छात्राओं को रोजगार की दिक्कतें बस कोरोना काल में ही हो रही है। देश में जब कोरोना नहीं था तब भी सरकार द्वारा रोजगार के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा था खैर अब तो कोरोना का बहाना है। सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले हिमांशु गोरखपुर के देहात क्षेत्र में रहते है जो रोजाना ठेले पर कभी नारियल तो कभी कुछ बेचने शहर में आते हैं।

हिमांशु ने बताया कि वो ग्रेजुएशन करने के बाद पिछले 3, 4 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं कुछ फॉर्म भरा था कुछ के पेपर हुए उसके रिजल्ट नहीं आये तो कुछ पेपर अभी तक हुआ ही नहीं। हिमांशु के घर की हालत ठीक नहीं है इसलिए वो कुछ कमाने के लिए ठेले पर कुछ बेचने का काम करते हैं। बाघागाड़ा में एम.कॉम कर चुके संतोष( बदला हुआ नाम) गन्ने का रस बेचता है।

उसने बताया कि प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो उसे उम्मीद था कि युवाओं के लिए सरकार जरूर कुछ बेहतर करेगी अच्छा रोजगार मिलेगा इसीलिए तैयारी जारी था।

मगर 3 साल से ज्यादा बीत गए सरकार को लेकिन हुआ कुछ नहीं। शहर में ना जाने कितने ऐसे शिक्षित बेरोजगार हैं जो इन दिनों कुछ ऐसा काम करते दिख जाएंगे जिससे आप सोच में पड़ जाएंगे कि क्या इसीलिए और इसी दिन के लिए लोग इतना ज्यादा पढ़ाई करते हैं?

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