गोरखपुर में दो जगहों पर अचानक से सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ों की मौत से क्षेत्र में दहशत फैली हुई है। पहले ही देश कोरोनावायरस से जूझ रहा है। कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चमगादड़ से ही निकला है। इस वजह से लोग और डरे हुए हैं।
चमगादड़ों की मौत के बाद पशु चिकित्सालय गोला में उनका पोस्टमार्टम कराया गया। रिपोर्ट में गर्मी व लू से चमगादड़ों की मौत की बात कही गई है। जबकि दूसरे स्थल के नमूने बरेली पहुंच गए हैं। डीएफओ ने वहां बात करने के बाद बताया कि रिपोर्ट 48 घंटे बाद आएगी।
खजनी के बेलघाट में 300 चमगादड़ों की मौत के बाद विभाग ने पोस्टमार्टम के लिए नमूने बरेली भेजे, जबकि गोला ब्लाक के गोपलापुर में मरे 250 चमगादड़ों में से दो नमूने लेकर गोला में ही पोस्टमार्टम कराया गया।
उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी गोला समदर्शी सरोज ने बताया कि पोस्टमार्टम में शरीर में सब कुछ सामान्य पाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उन्होंने कड़ी धूप के चलते चमगादड़ों की मौत का जिक्र किया है। चिडिय़ाघर के पशु चिकित्सक डॉ. योगेश कुमार का कहना है कि चमगादड़ 40 डिग्री तापमान के भीतर रहने वाले जीव हैं। इससे अधिक तापमान में उनकी मौत हो जाती है।
बेलघाट में चमगादड़ बहर्रा के पेड़ पर थे। वहां अभी भी जीवित चमगादड़ हैं। कुछ मरे हुए भी पेड़ से लटके हैं। कुछ दिन पहले जब तापमान 40 डिग्री से अधिक हुआ, तो चमगादड़ स्थान परिवर्तन कर करीब 200 मीटर दूर आम के पेड़ पर पहुंच गए।
यहां आना उनके लिए और घातक हो गया। यह पेड़ अन्य पेड़ों से अलग है। कुछ दूरी पर ईंट भट्ठा भी है। तापमान बढऩे के साथ ही ईंट-भट्ठे की गर्मी उनके लिए जानलेवा बन गई।
गोपलापुर में चमगादड़ पीपल के पेड़ पर थे। यह पेड़ छह माह पूर्व गिर गया और चमगादड़ यूकेलिप्टस के पेड़ पर चले गए। गर्मी बढऩे पर उनकी भी मौत हुई है। डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि फिलहाल मौत की वजह हीट स्ट्रोक ही नजर आती है।
बरेली की रिपोर्ट आने के बाद इसे पूरी तरह स्पष्ट किया जा सकेगा। चमगादड़ों की मौत मामले में मोनिटरिंग मुख्यमंत्री कार्यालय से भी हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए बुधवार को डीएफओ ने पशु चिकित्सक डॉ. योगेश कुमार के साथ बेलघाट व गोपलापुर में घटनास्थल का निरीक्षण किया।