गोरखपुर। खगोल प्रेमियों के लिए 13 जुलाई खास होने वाला है, इस दिन 13 जुलाई 2022 को बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देगा चांद , इस खगोलीय घटना को सुपर मून कहा जाता है, इस घटना के दौरान चंद्रमा अपनी कक्षा मे निकटतम बिंदु पर होता है और इसी कारण चंद्रमा और पृथ्वी की बीच की दूरी सबसे कम होती है, इसे पेरिगी कहा जाता है, इस दौरान चंद्रमा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत तक ज्यादा चमकीला नज़र आएगा।
कितने बजे दिखाई देगा? यह 12 बजकर 7 मिनट पर अपने चरम सीमा पर दिखाई देगा, वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता हैं, अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं वो विशेष जानकारी हेतु आप नक्षत्र शाला में विशिष्ट टेलीस्कोप्स के माध्यम से भी इस सुपर मून को देख सकते हैं क्या होता है सुपर मून खगोलविद् ने बताया कि सुपर मून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1979 में रिचर्ड नौल्ले द्वारा किया गया था ।
सुपर मून के दौरान चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है, ये प्रथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान अपने निकटतम बिंदु पर आने के कारण ऐसा होता है, चंद्रमा का अपने इस निकटतम बिंदु पर आने को ही पेरीगी कहा जाता है, इस दौरान प्रथ्वी से चंद्रमा की दूरी 357,264 किलोमीटर होगी, जबकि सामान्य दिनों में यह दूरी 384,366 किलोमीटर रहती है, और चंद्रमा का अपनी कक्षा में दूरस्त बिंदु पर होने के कारण प्रथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 4,05,500 किलोमीटर होती है, इसे एपोजी कहा जाता है।
सुपर मून को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे डियर मून, थंडर मून, हे मून, बर्ट मून, सेलमोन मून, रॉक्सवेरी मून, कैल्मिंग मून इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।
एक साल में कितने सुपर मून हो सकते हैं ? एक साल में तीन या अधिकतम चार सुपर मून हो सकते हैं।
कब होगा अगला सुपर मून? अगर इस बार सुपर मून का दीदार नही कर पाए तब अगली बार ऐसा सुपर मून 3 जुलाई सन 2023 मे दिखाई देगा ,
धरती पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है_ इस प्रकार की सुपर मून की घटनाओं मे चंद्रमा का प्रथ्वी के इतने नज़दीक आने के कारण प्रथ्वी पर उच्च ज्वार भाटे की घटनाओं का होना संभव हो सकता है।