कोरोना की दूसरी लहर जब पीक पर थी तो शहर के कई अस्पतालों ने मनमाने तरीके से खूब पैसा कमाया। बिना किसी मानक के मरीजों से पैसे वसूले। कई ऐसे मामले सामने आए जहां 2-4 दिनों में कई लाख का बिल बना दिया गया।
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लेकिन अब उन अस्पतालों पर शिंकजा कस रहा है। ऐसा ही मामला शहर के राणा हॉस्पिटल का सामने आया है। मरीज के परिजनों की शिकायत पर हुई जांच में यह बात सामने आई है कि हॉस्पिटल संचालक ने मरीज के परिजनों से जमकर धन उगाही की थी।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के दबाव के बाद आखिरकार अस्पताल ने 1,10,706 रुपये का चेक पीड़ित परिजनों को सौंपा है।
जानकारी के अनुसार सोनबरसा के रहने वाले मनीष मोदनवाल ने आरोप लगाया था कि उनके पिता दिनेश मोदनवाल कोरोना संक्रमित हुए तो उन्हें राणा हॉस्पिटल में 22 अप्रैल को भर्ती कराया गया।
भर्ती होने के दौरान प्रतिदिन 14 हजार बेड का खर्च बताया गया था। लेकिन उसके बदले प्रतिदिन 20 हजार रुपये वसूले गए।
इसके अलावा 20-25 हजार रुपये की दवा के नाम पर अलग से रुपये जमा कराते थे। बाहर से इंजेक्शन भी मंगाते थे।
आठ दिनों के इलाज में लाखों रुपये खर्च हो गए, लेकिन उनके पिता बच नहीं सके। 30 अप्रैल को दिनेश की मौत हो गई। मौत के बाद भी अस्पताल संचालक ने रुपये वसूले।
आरोप है कि मरीज को ऑक्सीजन भी ठीक ढंग से नहीं दिया गया। हर बार रकम न जमा करने पर मरीज को बाहर निकाल देने की धमकी दी जा रही थी।
मजबूरन इधर-उधर से रकम का जुगाड़ कर किसी तरह रुपये जमा किया। लेकिन पिता की जान नहीं बच सकी।
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने जांच की तो मामला सही पाया गया। कार्रवाई की डर और प्रशासन के दबाव के बाद राणा हॉस्पिटल ने मनीष को 1,10,706 रुपये का चेक सुपुर्द किया है।
28 मई की तिथि में चेक बनाया गया है। इस सिलसिले में अस्पताल प्रबंधन का पक्ष नहीं मिल सका है। पक्ष मिलते ही उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।
अपर आयुक्त न्यायिक से की गई थी शिकायत
परिजनों ने इसकी शिकायत अपर आयुक्त न्यायिक रतिभान वर्मा से की थी। उन्होंने मामले की जांच की और आरोप सही पाया।
इसके बाद कार्रवाई के लिए सीएमओ को रिपोर्ट दे दी गई। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट देने के बाद भी हॉस्पिटल रुपये देने में हीलाहवाली कर रहा था। इस बीच पीड़ित परिवार फिर से प्रशासन से शिकायत की तब जाकर चेक सौंपा गया।
कई निजी अस्पताल कर चुके हैं ऐसा कृत्य
कोरोना महामारी के बीच कई निजी अस्पताल आपदा में अवसर ढूूंढते हुए मरीजों और उनके परिजनों से धनउगाही कर चुके हैं।
उन्होंने धनउगाही की रकम प्रशासन की कड़ाई के बाद पीड़ितों को सौंपी। मामले में डिग्निटी हॉस्पिटल और ब्रदी हॉस्पिटल को सील भी किया गया है।