आगरा। कोरोना महामारी किस तरह लोगों के लिए संकट बन कर बन रहा है इसकी बानगी देखनी हो तो फिरोजाबाद की इस बुजुर्ग महिला से मिलिए। लॉकडाउन में 72 साल की राधा देवी के जीवन का सिर्फ एक ही सहारा है। सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता यही उनके जीवन यापन का एकमात्र जरिया है।
इसी एक मात्र मदद की आस में राधा देवी ने 50 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया। पैदल चलकर जब वो बैंक पहुंची तो उन्हें पता चला उनके खाते में पैसे नहीं आएं हैं। सुनकर बुजुर्ग राधा देवी वहीं बैठ गई। शायद यह सोच रही होंगी की इसके लिये किसे दोष दें सरकार को? सिस्टम को? बैंक को? या कोरोना को?
फिरोजाबाद के थाना पचोखरा के गांव हिम्मतपुर की रहने वाली 72 वर्षीय राधा पत्नी हरवीर आगरा के रामबाग में रहकर मजदूरी कर पालतीं हैं। पंकज खाता भी आगरा में ही है। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो जाने से उनके पास रखे रुपये भी खत्म हो गए तो वह अपने गांव फिरोजाबाद इस उम्मीद में चली गई थी शायद महान पेट को दाना नसीब होता रहे।
लेकिन जीवन यापन करने की सिर्फ पेट में दाने की ही जरूरत नहीं होती है कुछ और भी जरूरत होती है। जिसके लिए चाहिए होता है पैसा।
वृद्धा को किसी ने बताया कि सरकार सभी जनधन खाता धारक महिलाओं को 500-500 रुपए दे रही है। यह पता चलने पर वो भूख-प्यास की परवाह किए बिना ही आगरा के रामबाग से बैंक खाते से पांच सौ रुपये निकालने के लिए रात में ही पैदल चल पड़ी।
50 किलोमीटर पैदल चलकर जब बुढ़िया शनिवार सुबह टूंडला के पचोखरा स्थित होम ब्रांच स्टेट बैंक पहुंची तो उनसे अपना खाता चेक कराया। बैंककर्मी ने खाता चेक करने के बाद बताया कि उनके खाते में रुपये नहीं आए हैं।
यह सुनकर वहीं बैठ गयी। बुजुर्ग महिला ने बताया कि न तो उन्हें वृद्धा पेंशन मिल रही है और न ही कोई राशन कार्ड है। ऊपर से पांच सौ रुपये भी उसके खाते में नहीं डाले। वो हताश होकर फिर पैदल ही आगरा लौट गईं।