महारगंज। जिले के निचलौल थाने का एक सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है। जहां एक मामले में एसएचओ निचलौल ने जांच पड़ताल में बाद पांच लोगों को धारा 151 में पाबंद करने का आदेश एसडीएम के आदेश पर दिया था।
वही दोनों बड़े अफसरों के आदेशों को धता बधाते हुए निचलौल थाने के दो सिपाही व दिवान ने मिल कर तीन लोगों को छोड़ दिए और दो लोगों को थाने पर ही बैठा लिया।
इस बावत दूसरे पक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया मामला पुलिस अधीक्षक तक जा पहुंचा। वहीं सीओ निचलौल व एसएचओ निचलौल को जब इस बात की भनक लगी तो उनके हाथ पांव फूल गए।
इसके बाद दोनों सिपाही और दीवान अफसरों की रडार पर आ गए। एसएचओ निचलौल ने पूरे प्रकरण को आड़े हाथों लिया और जम कर दोनों सिपाहियों की क्लास लगाई।
थानेदार ने फौरी तौर पर छोड़े गए तीनो अभियुक्तों को पकड़ थाने लाने का आदेश दे दिया वरना परिणाम भुगतने को तैयार रहने की फरमान भी सुना दिया। उसके बाद दोनों सिपाही हरकत में आये और आनन फानन में छोड़े गए अभियुक्तों को थाने लाकर चालान कराया गया।
इस घटना से नए नए एसएचओ निचलौल जो अभी थाने की कार्य प्रणालि को समझ भी नही पाए कि तभी उनके अधीनस्थों ने पुलिसया चेहरे को उनके सामने प्रस्तुत कर दिया। अब एसएचओ भी हैरान हैं कि ऐसे में किस पर भरोसा किया जाए किस पर नही, बिना भरोसे थाना आखिर चलेगा कैसे?
वहीं थाने से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन सिपाहियों की खैर नही है। बड़े अधिकारियों की नज़र बराबर उनपर है। वहीं अब उस बात की चर्चा है कि जिस मामले में सीओ निचलौल, एसडीएम निचलौल और एसएचओ निचलौल तीनो बड़े अफसरों ने चालान का आदेश था उस मामले में थाने के 2 सिपाहियों और दीवान ने मिलकर अभियुक्तों को घर कैसे भेज दिया। दबी जुबान में कुछ सफेदपोश लोगों के संरक्षण की बात भी सामने आ रही है।
क्या था मामल
बताया जा रहा है कि एक विशेष सम्प्रदाय की संस्था के नाम पर फर्जी तरीके से संस्था का प्रमुख बन कर फर्जी रशीद छपाई कराकर लोगों से धन उगाही किया गया है। चर्चा आम होने के बाद तहसील स्तर के बड़े अधिकारियों ने कार्यवाही करने का आदेश एसएचओ निचलौल को दिया था। जिसके बाद सभी अधिकारियों के आदेशों को धता बताते हुए थाने के दीवान और दो सिपाहियों ने अपना निजी कानून चला दिया और प्रशासनिक अमले को ही बदनाम कर दिया है ।
बताया जा रहा है कि उक्त तीनों सिपाहियों का तस्करों से अच्छा खासा साठ गांठ है और जम कर मटर शराब की तस्करी कराते है। उनका उठना बैठना भी कुछ सफेदपोश लोगों के साथ है। शायद यही वजह है कि उन्हें बड़े अफसरों के आदेश की कोई परवाह नहीं है।