बस्ती। उत्तर प्रदेश की ये वो शर्मनाक तस्वीर है जो सरकार के तमाम दावों की खुलेआम पोल खोलती है। ठेले पर अपनी भौजाई की जान बचाने के लिए अस्पताल ले जा रहा शख्स न सिर्फ यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा तमाचा है बल्कि जिम्मेदारियों की संवेदनहीनता की भी पराकाष्ठा को दिखाता है।
Advertisement
बार बार 108 एम्बुलेंस पर काँल करने के बाद भी काँल रिसीव नही हो पाई और मजबूर होकर झिनकान अपनी भाभी माँ को ठेला से खीच कर अस्पताल पहुंचाया।
सूबे की योगी सरकार भले ही दावा करती हो कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर है। और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर मुहैया कराई जा रही है।
लेकिन बस्ती जिले की यह तस्वीर बताती है। कि आजादी से लेकर आज तक सिर्फ सरकारें बदली चेहरे बदले लेकिन व्यवस्था जस की तस है वो भी खासकर आम आदमी के लिए।
दरअसल, बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक क्षेत्र की एक तस्वीर है जो बस्ती की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दिया है। इस कडाके की ठंडक में नेशनल हाईवे से होते हुये एक शख्स सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठेले पर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचा। ये कोई पहली घटना बस्ती जिले की नहीं है।
अक्सर एम्बुलेंस की उपलब्धता न होने पर, कभी 108 पर कॉल नही मिलने पर, कभी जागरूकता की कमी के कारण भी व्यवस्था को शर्मसार करती ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग 108 जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को और बेहतर करने का प्रयास नहीं करते।
ठेले पर महिला को इलाज के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हरैया लेकर आए देवर झिनकान ने बताया की बार बार एम्बुलेंस के लिए फोन किया गया लेकिन काँल रिसीव नही हुआ तो साहब तबीयत ज्यादा खराब होने के चलते मैने अपने ठेल पर ही लाद कर अस्पताल पहुँचाया, जहाँ इलाज चल रहा है।
इतना ही नही अस्पताल मे स्टेच्रर न होने पर ठेले से महिला मरीज को अस्पताल के अन्दर ओपीडी तक परिजनों के द्वारा लाया गया।
सीएचसी के अधीक्षक आर.के.यादव ने बताया की एम्बुलेंस अस्पताल मे प्रयाप्त मात्रा मे उपलब्ध है लेकिन इसकी मानेटरिग लखनउ से होने की वजह से अस्पताल की कोई भूमिका नही है लेकिन तबभी अधिकतर मरीज एम्बुलेंस से ही आते है, हो सकता है कि नेटवर्किंग प्राब्लम्स के चलते तीमारदारों का फोन 108 एम्बुलेंस पर न लगा हो। फिलहाल यह घटना शर्मनाक है और मै जिले के उच्चधिकारियों को इसके बारे मे सूचित करुगा।