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विश्व पर्यावरण दिवस पर मर्तिया ब्रांड ने अपने मर्तिया आर्गेनिक फार्म पर लगाए 50 नीम के पौधे

गोरखपुर। विश्व पर्यावरण दिवस पर मर्तिया ब्रांड ने अपने मर्तिया आर्गेनिक फार्म पर लगाए 50 नीम के पौधे। इस अवसर पर मर्तिया आर्गेनिक फार्म के ओनर वास्तु शास्त्री उत्सव मर्तिया और अनिता मर्तिया ने बताया कि अपने पर्यावरण का ख्याल रखने के लिए जितना ज़रूरी पेड़ लगाना है उतना ही ज़रूरी अपनी मिट्टी , हवा और पानी का खयाल रखना भी है। उन्होंने किसानों को बताया कि अपनी मिट्टी पर कुछ न जलाये वरना उसकी उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है । सूखे हुए पौधों को सड़ा के खाद बनाये। मिट्टी और धूल में फर्क होता है अपने खेत को बैल से जोतवाईये क्योंकि खेत के जीव जंतु इससे ज्यादा वजन सह नही सकते और इससे भी उपजाऊ छमता कम हो जाती है ।

सूखे पौधे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और कहीं न कहीं हमे नुकसान पहुंचाता है । जैसे बारिश का पानी का ph लेवल अब कम होते जा रहा है जिससे कि बारिश के पानी का एसिडिटी लेवल बढ़ रहा है । जो कि पौधों के लिए साथ ही साथ मनुष्यों के लिए भी नुकसानदायक है।

बारिश के पानी को बचाने के लिए भी बताया और अपने खेतों में सिंचाई के लिए बूंद बूंद सिचाई के लिए बतया , जिससे पानी कम से कम बर्बाद हो । केमिकल का इस्तेमाल करने से ग्राउंड वाटर का पानी का क्वालिटी भी खराब हो रहा है।

पानी बचाओ वार्ना पेड़ नही बचेगा और अगर पेड़ नही बचा तो ऑक्सीजन और खाना दोनो ही नही मोलेगा और जीने के लिए दोने अनिवार्य है। उन्होंने ये भी बताया कि खेतों में जानलेवा और खतरनाक कीटनाशक का प्रयोग कम से कम करें।

जितना जहर हम पौधों में डालते हैं उसका 30 परसेंट सिर्फ पौधा लेता है और 70 परसेंट धरती ले लेती है, अगर 100 का 100 परसेंट पौधे में केमिकल या जहर रह जाता तो पहला केला खाकर आदमी मर जाता, लेकिन 70 पर्सेंट धरती ले लेती है, जहर का वापस जहर नहीं आ रहा है । अगर जहर का वापस जहर आता तो यह सृष्टि खत्म हो गई होती ,इतना जहर हमने खेतों में आज तक डाला है। इसीलिए धरती को माता बोलते हैं, अवगुणों को शोषित करती है और गुणों को निकालती हैं पर अब नीचे का पानी खराब हो गया है ऊपर की मिट्टी खराब हो रही है कृपया अब इसको बंद करिए और उसकी जगह एक ऐसा सिस्टम बनाये जिससे कि एक इकोसिस्टम बने।

कीटो को भगाने के लिए नीम का इस्तेमाल करें और पौधों के बगल में तुलसी जी के पौधे लगाए 24 घंटे ऑक्सीजन भी मिलेगा , मेडिसिनल फार्मिंग से कमाई भी होगी और अगल बगल के पौधों में कीट भी नही लगेंगे। फलों की पैदावार के लिए गोबर और केचुआ खाद का प्रयोग करे और केमिकल का कम से कम प्रयोग करे। हम सभी लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है , और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ मिल के लड़ना है जिससे आने वाले समय मे कोई महामारी का सामना न करना पड़े । आज कल जंगलों में अपने आप ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आग लग रही है और ऐसे ही आग लगती है तो एक दिन ऑक्सीजन की कमी का सामना भी करना पड़ सकता है ।
एक मनुष्य के जीवन मे मनुष्य को 16 पेड़ से पैदा हुए ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है , सभी से अपील करते है कि कम से कम अपनी जरूरत भर का पौधा अपने जीवन काल मे लगा लें वरना खुद के लिए ऑक्सिजन कम पड़ जायेगा ।

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