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सिर्फ कोविड ही नहीं टीबी से भी बचाता है फेस मॉस्क, आदत में करिए शामिल

गोरखपुर। मॉस्क का इस्तेमाल सिर्फ कोविड से ही सुरक्षा नहीं करता है, बल्कि यह टीबी (क्षय रोग) से भी बचाता है। टीबी का प्रसार रोकने में मॉस्क बेहद कारगर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के टीके के प्रति संपूर्ण प्रतिरक्षण के बाद भी भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मॉस्क का इस्तेमाल सेहत की दृष्टी से अच्छा व्यवहार होगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्र कहते हैं कि अगर किसी के घर में टीबी का मरीज है तो रोगी के अलावा पूरे परिवार को मॉस्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि क्षय रोगी के खांसने, छींकने और खुले में बलगम पड़े रहने से अन्य लोगों में भी टीबी के प्रसार का खतरा बना रहता है।

अगर क्षय रोगी मॉस्क का इस्तेमाल कर रहा है और उसके परिवार के लोग भी मॉस्क का इस्तेमाल करते हैं तो बीमारी फैलने की आशंका समाप्त हो जाती है।

टीबी का वैक्टेरिया शरीर में आने के बाद आवश्यक नहीं है कि तुरंत टीबी हो जाए या टीबी का लक्षण दिखने लगे।

इसलिए जब टीबी के बैक्टेरिया के संपर्क में आए व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तब जाकर बीमारी के लक्षण सामने आते हैं।

भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मॉस्क का इस्तेमाल करने से अगर कोई व्यक्ति अनजाने में टीबी रोगी के संपर्क में आता है तब भी बैक्टेरिया की जद में आने से बच जाता है।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विराट स्वरूप श्रीवास्तव का कहना है कि अगर लोग स्वच्छता का व्यवहार अपनाएं तो टीबी उन्मूलन और भी आसानी से हो सकता है।

खांसते-छींकते समय कोविड के दौरान जो सावधानी बताई गयी है उसे नियमित व्यवहार में अपना लेना चाहिए। ऐसा करने से न केवल टीबी जैसी बीमारी बल्कि वायरस से होने वाले कई प्रकार के फ्लू के नियंत्रण में मदद मिलेगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान माहौल में जब लोग बचाव के उपाय अपनाते हुए ऊब गए हैं, आपके चेहरे पर मॉस्क दूसरों इसकी अहमियत याद दिलाने में मदद कर सकता है।

इस प्रकार मॉस्क पहनने वाले लोग न केवल दूसरों पर भी इसके लिए दबाव बना सकते हैं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का ज़रिया भी बन सकते हैं। इसलिए उचित होगा कि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर उचित मॉस्क ज़रूर पहने।

मॉस्क के प्रति अपनाएं यह व्यवहार

• मॉस्क को कभी भी बाहर की तरफ से इस्तेमाल के बाद न छुएं।
• सर्जिकल मॉस्क एक बार से ज्यादा प्रयोग न करें।
• कपड़े के मॉस्क को अच्छी तरह से धुलने के बाद ही इस्तेमाल करें।
• अकेले रहने पर मॉस्क लगाने की आवश्यकता नहीं है।
• मॉस्क को कभी उल्टा इस्तेमाल न करें।

कारगर है मॉस्क

जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित हुए संस्करण ‘फेस मॉस्क – कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ज़रूरी हथियार’ – में कहा गया है कि मॉस्क संक्रमित बूंदों के प्रसार को रोकने के अलावा बेहद सस्ते, उपयोग में आसान और खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों के लिए काफी प्रभावी हैं।

हांलाकि मॉस्क पहनना शारीरिक दूरी और हाथों की स्वच्छता के लिए एक विकल्प के तौर पर नहीं है पर यह उन परिस्थितियों में बेहद असरदार साबित हो सकते हैं जहां शारीरिक दूरी बनाए रखना मुश्किल हो।

यूं ही न फेंक दे मॉस्क

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुड़े जिला क्वालिटी एश्योरेंस कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान का कहना है कि मॉस्क के इस्तेमाल से ज्यादा अहम भूमिका उसके डिस्पोजल के तौर-तरीकों को समझना है।

मॉस्क उतारते समय यह ध्यान रखें कि वह पलट कर गर्दन या फिर चेहरे को स्पर्श न करे। मॉस्क का रिबन पकड़ कर ही उसे उतारना चाहिए।

इस्तेमाल के बाद मॉस्क को 72 घंटे तक पेपरबैग में रखें और उसके बाद ही उसे कहीं फेंके नहीं तो संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा।

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