गोरखपुर में नकली दवाओं के रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद रोज नई नईं जानकारियां निकल कर सामने आ रही हैं।
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यह जानकारियां ऐसी हैं जिससे गोरखपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के मरीजों की भी चिंताएं बढ़ सकती हैं।
जांच में पता चला है कि भालोटिया मार्केट में लाखों नहीं करोड़ों रुपये की नकली दवाएं खपाई गई हैं। यह दवाएं हिमाचल और उत्तराखंड की फैक्ट्रियों में बनीं जिसे गोरखपुर के साथ ही पूर्वांचल, बिहार, नेपाल और लखनऊ तक में बेचा गया है।
लखनऊ में व्यापारी ने एक दवा का बैच नंबर न मिलने पर असली कंपनी को फोन किया तो नकली के खेल का पर्दाफाश हो गया। अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम नकली दवा की बरामदगी में जुटी हुई हैं।
नामी कंपनियों के नाम से बनाई नकली दवाएं
हिमाचल और उत्तराखंड की दवा फैक्ट्रियों में बड़ी कंपनियों की नकली दवाएं बनवाई गईं।
शातिरों ने उन दवाओं का चयन किया जो सबसे ज्यादा बिकती हैं। इनमें हर्ट, लिवर, गैस, एंटीबायोटिक, कैल्शियम, स्टेरायड, चर्म रोग, ताकत का इंजेक्शन आदि शामिल हैं।
नर्सिंग होम में पाई गई है ज्यादातर नकली दवाएं
नकली दवाओं की आपूर्ति नर्सिंग होम में भी की गई है। कम दाम में दवाएं मिलने के लालच में कई दुकानदारों ने बिना बिल की भी खरीदारी की है।
सबसे ज्यादा बिकने वाले ताकत के एक इंजेक्शन की आपूर्ति बिहार में हुई थी। वहां के दवा कारोबारी को जब पता चला कि इंजेक्शन नकली है तो उसने भालोटिया मार्केट पहुंचकर इसे वापस कर दिया।
शातिरों ने नकली दवाएं बनाकर व्यापारियों को कम दाम में बेचा। डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर और रिटेलर का दवाओं में अलग-अलग कमीशन होता है।
एक बार में ज्यादा दवाएं बेचने के लिए शातिरों ने डीलरों को बढ़ाकर मुनाफा दिया।
इसे ऐसे समझें- दवाओं का एक ट्रेड रेट होता है। इस रेट पर व्यापार होता है। दवा कंपनियां ज्यादा माल लेने पर ट्रेड रेट पर छूट देती हैं।
कई ब्रांडेड कंपनियों पर ट्रेड रेट पर अधिकतम 14 फीसद तक की छूट मिलती है। नकली दवा के कारोबारियों ने ट्रेड रेड पर 30 से 40 फीसद तक की छूट दी। इस कारण व्यापारियों ने बिना सोच-समझे हाथों-हाथ दवाएं खरीदीं।
मार्केट की कई दुकानों से बिकी हैं दवाएं
भालोटिया मार्केट की 15 से ज्यादा दुकानों से नकली दवाएं बेची गई हैं।
दुकानदारों ने बिल पर दवाएं खरीदी हैं और बिल पर फुटकर दुकानदारों को बेची हैं। लेकिन बिल पर बैच नंबर फर्जी है। इसी आधार पर दवाओं की पहचान भी हो सकेगी।
देखकर नहीं पहचान सकते नकली दवाओं को
ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाओं का रैपर हूबहू बनाया गया है। देखकर इन्हें पहचाना नहीं जा सकता है।
दवा कारोबारियों का कहना है कि बहुत ध्यान देने पर ही इसके बारे में पता लगाया जा सकता है। फुटकर दवा व्यापारियों को शायद ही पता चले कि उन्होंने नकली दवा बेची है।
नकली दवाओं में क्या मालीक्यूल (दवा का अवयव, जैसे बुखार की दवा कैलपाल का मालीक्यूल पैरासीटामाल है) मिलाया गया है, इसकी जानकारी सिर्फ दवा बनवाने वाले को है।
हो सकता है कि जिस मर्ज की दवा हो, वह मालीक्यूल ही न मिला हो। गंभीर मरीजों के लिए ऐसे दवाएं जानलेवा होंगी क्योंकि वह जिस मर्ज को ठीक करने के लिए दवा का सेवन कर रहा है, हो सकता है नकली दवा में उस मर्ज को ठीक करने का मालीक्यूल ही न हो।
फिसल गईं दवाएं
छह जनवरी को लखनऊ के व्यापारी ने नकली दवा की आपूर्ति की जानकारी के बाद नाराजगी जताई और गोरखपुर के व्यापारियों को इसकी सूचना दी तो नकली दवा के कारोबारी ने सभी दवाएं वापस लेने का आश्वासन दिया।
उसी दिन ट्रांसपोर्ट के जरिये आठ गत्तों में नकली दवाएं रखकर वापस की गईं। उस ट्रक में भालोटिया मार्केट में 17 और व्यापारियों की दवाएं आईं।
बताया जा रहा है कि ट्रांसपोर्टनगर स्थित एक ट्रांसपोर्ट के गोदाम के बाहर ट्रक को रुकवाकर नकली दवाएं निकलवा ली गईं।
चार पहिया वाहन में दवाएं लेकर कुछ लोग चले गए। इसकी जानकारी होने पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने छापा मारा लेकिन तब तक नकली दवा गायब की जा चुकी थी।
अब विभाग के अफसर ट्रक में माल मंगाने वाले अन्य व्यापारियों का डाटा खंगाल रहे हैं।
अब बैच नंबर मिला रहे हैं भालोटिया के दुकानदार
शनिवार को भालोटिया मार्केट में व्यापारी दवाओं का बैच नंबर मिलाते रहे।
कुछ दवा व्यापारी ट्रांसपोर्टनगर तो कुछ हट्ठी माता स्थान की एक दुकान से नकली दवा बिकने की चर्चा करते रहे तो कुछ का कहना था कि दवा भालोटिया मार्केट में मंगाई गई और यहीं से बेची गई।
वही औषधि विभाग का कहना है कि नकली दवा बेचने वालों का डाटा खंगाला जा रहा है। कुछ जानकारी मिली है।
हमारी जांच तेजी से चल रही है। जल्द ही कारोबार का पर्दाफाश हो कर दिया जाएगा। जो लोग भी इस धंधे में संलिप्त हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।