लोकसभा चुनाव के छह चरण के लिए मतदान डाले जा चुके हैं, अब बारी है सातवें चरण आखिरी आखिरी चरण की जोकि 19 मई को होना है. 19 मई को 59 सीटों पर आठ राज्यों में वोट डाले जायेंगे. उत्तर प्रदेश की 13 सीटें इसमें शामिल हैं- महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चन्दौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज. बात 2014 की करें तो इन सब सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इस समय सबकी निगाहें वीआईपी सीट यानी गोरखपुर पर टिकी है.
सभी दिग्गज नेताओं का जमावड़ा इस समय गोरखपुर में लगा हुआ है, क्या कांग्रेस क्या बीजेपी या क्या सपा बसपा सभी इस समय गोरखपुर की ओर ही देख रहे है. बात 2018 में हुए उपचुनाव की करें तो गोरखपुर सीट से लगातार अपना पाँव जमाये हुए योगी आदित्यनाथ की सीट पर गठबंधन प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने जीत का परचम लहराया था. प्रवीण की इस जीत के बाद से ही गोरखपुर लोगों की नजरों में और आ गया. लेकिन समय बीतता गया और गठबंधन के प्रत्याशी रहे प्रवीण निषाद ने हवा देख बीजेपी में ही शामिल हो गए, पर प्रवीण के शामिल होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रवीण को गोरखपुर सीट से टिकट नहीं दिया बल्कि संतकबीरनगर से मैदान में उतारा.
अब इसके पीछे क्या कारण है ये तो पार्टी और उनके शीर्ष नेताओं को ही पता होगा पर सूत्रों की मानें तो योगी इस सीट से किसी बाहरी को ही लड़ाना चाहते थे जिससे भविष्य में वो वापस गोरखपुर आ सके. अब जबकि 19 मई को गोरखपुर में वोटिंग होनी है तो सबकी निगाहें इस सीट पर टिकी है कि आखिर इस सीट से जनता किसे अपना सांसद चुनेगी. उपचुनाव में प्रवीण निषाद की जीत का कारण निषाद वोटरों को माना जाता है, निषाद वोटरों की संख्या गोरखपुर में लगभग साढ़े चार लाख है और ये संख्या काफी बड़ी है जीत या हार तय करने के लिए.
अब देखना होगा कि भाजपा की ओर से खड़े रवि किशन को क्या जनता स्वीकार करेगी या गठबंधन की ओर से लड़ रहे रामभुआल निषाद को जनता का समर्थन मिलेगा?