गोरखपुर। लाभ के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मरीजों से भी फ्रॉड हो रहा है। भालोटिया मार्केट में करीब 36 लाख रुपये की नकली दवाओं की खेप पहुंचने का मामला प्रकाश में आया है।
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इनमें करीब 18 लाख की दवाएं मेडिकल स्टोरों पर भी पहुंच गई हैं। मामले की जानकारी जब ड्रग विभाग को हुई तो शेष बची दवाएं भालोटिया से गायब कर दी गई है।
शक के आधार पर विभाग ने आठ दुकानदारों का डाटा इकट्ठा कर जांच शुरू कर दी है। उनका सत्यापन किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक गोरखपुर में नकली दवाओं का खेल शुरू होने की बात कही जा रही है। एक व्यापारी ने करीब 36 लाख रुपये की ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं मंगाई।
इनमें करीब 18 लाख की दवाएं एक बड़ी पार्टी ने लेकर लखनऊ भेज दिया था। लेकिन इस बीच जो सैंपल दिखाए गए, उसके बैच नंबर भेजे गए दवाओं से मैच नहीं हुए।
इस पर जांच हुई तो पता चला कि दवाएं नकली हैं। इस पर लखनऊ के व्यापारी ने सात जनवरी को सभी दवाएं वापस भेज दी।
इसके बाद गोरखपुर के दो दुकानदारों (दवा मंगाने वाले व उससे दवा खरीदने वाले) के बीच रुपये को लेकर विवाद शुरू हो गया।
मामले की जानकारी ड्रग विभाग तक पहुंच गई। लेकिन जब तक विभाग दवाओं के बारे में पता करता उससे पहले दवाएं भालोटिया मार्केट से गायब कर दी गई।
विभाग इस मामले में अब तक व्यापारी तक नहीं पहुंच पाया पाया है। ऐसे में यह दर्शा रहा है कि विभाग इस मामले में कितनी बड़ी लापरवाही कर गया है।
नकली दवाओं तक विभाग पहुंच नहीं पाया है। लेकिन मामला पेंचीदा होने की वजह से विभाग ने जांच शुरू कर दी है।
विभाग ने ट्रांसपोर्ट के जरिए यह पता कराया है कि सात जनवरी को भालोटिया के आठ दवा व्यापारियों ने लखनऊ से दवा मंगाई थी।
उन सभी दुकानदारों के यहां से सात जनवरी का पूरा डाटा कब्जे में ले लिया गया है। उसमें देखा जा रहा है कि कौन-कौन सी दवाएं उस दिन व्यापारियों ने मंगाए थे। इसकी जानकारी की जा रही है।
सहायक औषधि आयुक्त एजाज अहमद ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है। लखनऊ से सात जनवरी को जिन आठ लोगों के यहां दवाएं आई हैं।
उन सभी का डाटा लेकर उसकी जांच शुरू कर दी गई है। मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होगी। जल्द ही इसका पर्दाफाश किया जाएगा।