सहजनवां गोरखपुर: रिपोर्ट: हरगोविंद चौबे- सरकार एक ओर जहाँ आम जनमानस के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर काफी संवेदनलशील है और आये दिन कुछ न कुछ जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है ताकि आमजनमानस स्वस्थ और निरोग रहे इसके लिए सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए काफी बेहतर सुभिधाएँ मुहैया करा रखी है ताकि किसी भी मरीज को प्राइवेट अस्पतालों का दरवाजा न खटखटाना पड़े लेकिन कुछ कतिपय किस्म के लोगों की वजह से मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुला खिलवाड़ किया जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग व सरकार की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है और जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं ऐसे में सरकार का यह सपना की स्वस्थ रहेगा इंडिया तभी बढेगा इंडिया कैसे साकार होगा।
ऐसा ही वाकया गोरखपुर जिले के अतरौलिया भटहट स्थित एक अस्पताल पर देखने को मिला जहां मृत डॉक्टर के नाम पर फर्जी अस्पताल चलाया जा रहा है।
बताते चलें कि गोरखपुर के अतरौलिया भटहट स्थित वैष्णवी हॉस्पिटल संचालित होरहा है सूत्रों के हवाले से यह खबर मिली कि यह अस्पताल फर्जी तरीके से चलरहा है और इसका रजिस्ट्रेशन किसी मृत डॉ0के नाम पर है और इसके बोर्ड पर जिन डॉक्टरों का नाम लिखा है वह डॉक्टर यहाँ नहीं बैठते हैं।
जब इस खबर की पड़ताल पर सवांददाता पहुँचा तो मामला बिल्कुल सही पाया गया जब अस्पताल के रजिस्ट्रेशन के बारे में वहाँ मौजूद व्यक्ति जो कि अपने आप को अस्पताल का मालिक बता रहा था पूछा गया तो पहले वह कैमरे के सामने बोलने से टाल मटोल कर रहा था फिर बाद में बोलने को तैयार हुआ तो पता चला कि यह रजिस्ट्रेशन इसके नाम से नहीं है अपितु किसी डॉ0राघवेंद्र सिंह के नाम से है और कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया।
अस्पताल में स्थित सभी कमरों को देखा गया तो देखने से यही प्रतीत हो रहा था कि इस अस्पताल में हर ओ काम होता है जो कि स्वास्थ्य विभाग के नियम विरुद्ध है मेडिकल स्टोर किचन में संचालित पाया गया मेडिकल वेस्ट बेतरतीब तरीके से बाहर फेंके पाये गए अस्पताल में स्थित एक कमरा बंद मिला जिसे संवाददाता के बार बार कहने पर भी नहीं खोला गया जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उस कमरे में अल्ट्रासाउंड मशीन हो सकती है।
जिससे यह यमराज रूपी अस्पताल भ्रूण हत्या जैसा जघन्य अपराध करता होगा अगर इस तरह के अस्पतालों पर बैन नहीं लगाया गया तो हो सकता है कि जो बेटियां इस संसार में आना चाहतीं हैं उनको गर्भ में ही मार दिया जाय।
इस अस्पतालके मालिक जिनके नाम से रजिस्ट्रेशन है और उसपर अंकित मोबाइल नंबर पर जब उनसे बात की गई तो डॉ0 साहब के साले साहब राजकुमार ने फोन उठाया और बताया कि डॉ0साहब अब इस दुनियां में नहीं हैं उनकों गुजरे लगभग सालों हो गए और इस तरह किसी अस्पताल से उनका कोई लेना देना नहीं है जब डॉ साहब जीवित थे तब इस रजिस्ट्रेशन के नाम से बिछिया में अस्पताल चलता था अब नहीं चलता है।
वहीं अस्पताल के पर्चे पर अंकित डॉ0 दीनानाथ पटेल जो कि एक सर्जन हैं और मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थे और स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस अस्पताल से हमारा कोई लेनादेना नहीं है अगर कोई मेरे नाम का दुरुपयोग कर रहा है तो वह स्वयं दोषी है। इस बावत एडीश्नल सी एम ओ डॉ0एन के पांडेय का कहना था कि मामला संज्ञान में आया है जिसकी जाँच की जाएगी अगर दोषी पायेजाते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।