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मुसलमानों के खून का कतरा-कतरा हिन्दुस्तान के जर्रे-जर्रे में शामिल : नूरानी मियां

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गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह पर हज़रत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का सालाना तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक बुधवार को जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी के साथ शुरू हुआ। भोर में गुस्ल एवं संदल पोशी हुई।

मुख्य अतिथि सैयद मो. नूरानी मियां ने कहा कि हिन्दुस्तान का मुसलमान बाइ चांस नहीं बाइ च्वाइस हिन्दुस्तानी है। हमारे खून का कतरा-कतरा हिन्दुस्तान के जर्रे-जर्रे में शामिल है। हम इसी मिट्टी से बने। इंशाअल्लाह इसी मिट्टी में दफ़न होंगे। कयामत में इसी मिट्टी से फिर उठाये जायेंगे। हमें न डराया जाए। हमारे बुजुर्गों ने हिन्दुस्तान में पूरी ज़िदंगी गुजारी है, यहां मस्जिदें, खानकाहें, मदरसे बनाए हैं। उस हिन्दुस्तान को भला हम कैसे छोड़ सकते हैं। हिन्दुस्तान से हमें बेपनाह मोहब्बत है। इस पर हम कभी कोई आंच नहीं आने देंगे। हमने बड़े जालिम हाकिमों का भी दौर देखा है, न ही दीन-ए-इस्लाम मिट सकता है और न ही कलमा पढ़ने वाले मिट सकते हैं।

सरपरस्ती करते हुए सैयद नफ़ीस अशरफ ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम ने औरत को समाज में एक बेहतरीन मुक़ाम अता करके उसकी इज़्ज़त में इज़ाफ़ा किया है। दीन-ए-इस्लाम में औरत की बुलंदो बाला अज़मत है। दीन-ए-इस्लाम ने बेटी की बेहतरीन तरबियत पर जन्नत की खुशख़बरी, बेहतरीन बीवी को नेमत और माँ के क़दमों तले जन्नत कह कर औरत की अज़मत को बुलंदो बाला कर दिया है। माएं घरों में अपनी बच्चियों को इस्लामी माहौल पर अमल करने की तरफ़ राग़िब करें। अल्लाह और पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीके पर पाबन्द रहने की तलक़ीन करें। लड़कियां दीनी तालीम के साथ आला असरी तालीम भी हासिल करें, मगर इस्लामी तहज़ीबो तमद्दुन को थामे रखें। औरतें व लड़कियां पर्दा जरूर करें। मोबाइल से दूर रहें। माडर्न तालीम हासिल कराने से पहले बच्चों को कुरआन पढ़ना सिखाएं, दीन की जरूरी और अहम बातें सिखाएं, रहन-सहन के आदाब, बड़ों के साथ अदब व एहतराम का सुलूक, छोटों से प्यार से पेश आना, जरूरी तहजीब और तरबियत देना जरूरी है।

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अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मुनव्वर ने कहा कि हिन्दुस्तान में दीन-ए-इस्लाम की हर प्रक्रिया को बिना किसी बाधा के पूरा किया जा सकता है।

दीन-ए-इस्लाम के तहत सामाजिक आंदोलन के लिए हिन्दुस्तान की ज़मीन पर किए गए औलिया किराम के प्रयोगों का यहां के समाज ने खुले दिल से स्वीकार किया और आज पूरी दुनिया हिन्दुस्तान में औलिया किराम के कामयाब प्रयोगों में अमन की राह तलाश रही है।

तिलावत-ए-कुरआन पाक से आगाज हुआ।नात-ए-पाक जिया यजदानी ने पेश की। संचालन कारी मो. अफजल बरकाती ने किया। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर अमन चैन व खुशहाली की दुआ मांगी गई। जलसे में दरगाह सदर इकरार अहमद, शमशीर अहमद शेरु, मुफ्ती अख्तर हुसैन, मुफ्ती मो. अजहर शम्सी, मुफ्ती मेराज अहमद कादरी आदि मौजूद रहे।

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18 मई गुरुवार का कार्यक्रम

उर्स-ए-पाक के दूसरे दिन बाद नमाज फर्ज कुरआन ख़्वानी होगी। सुबह 11 बजे दिन से कुल शरीफ का प्रोग्राम शुरू होगा। बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर व गागर पेश की जाएगी। बाद नमाज इशा कव्वाली होगीl

19 मई शुक्रवार का कार्यक्रम

उर्स-ए-पाक के अंतिम दिन बाद नमाज फर्ज कुरआन ख्वानी होगी। सुबह 9 से 11:30 बजे तक तकरीर प्रोग्राम होगा। बाद नमाज जुमा कुल शरीफ होगा। इसके बाद लंगर बांटा जाएगा। बाद नमाज इशा कव्वाली होगी।

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