गृहिणीयाँ 24 घंटे 365 दिन काम करें तो भी पूछा जाता है- “तुम करती क्या हो?”

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गोरखपुर में घरेलू महिलाओं के लिए मनोरंजन, प्रेरणा और प्रॉडक्ट्स से भरी एक दोपहर।
आज गोरखपुर के ब्लैक हॉर्स रेस्ट्रांट में साकार की पहली कार्यशाला आयोजित हुई। इस कार्यशाला में 50 से अधिक घरेलू महिलाओं ने भाग लिया।महिलाओं ने अपने बनाए खाद्य प्रॉडक्ट्स प्रदर्शित किए और सभी को स्वावलंबि बनने के टिप्स दिए गए। की कैसे वो अपने टैलेंट को इस्तेमाल कर ख़ुद को आगे बढा सकती हैं।

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कार्यशाला की शुरुआत पूर्व महापौर डॉ सत्पांडेय या पांडेय जी ने दीप प्रज्वलित करके की। उन्होंने सबको सम्बोधित करते हुए कहा की “एक औरत जो अपनी पूरी ज़िंदगी परिवार, बच्चों, पति और घरेलू काम में लगा देती है, उसे बदले में “हाउस्वायफ़” का टाइटल मिल जाता है। और धीरे धीरे उसे हीनता से देखने लगते हैं लोग। ऐसे समय में जब हमारी अर्थव्यवस्था इतनी दिक़्क़त में है, ये बेहद ज़रूरी है की देश की आधी आबादी को आगे ले आया जाए। उन्हें बढ़ने का मौक़ा दिया जाए ताकि ये देश और उनका परिवार, दोनो आगे बढ़ें।

साकार- एक ऐसी संस्थान जो महिलाओं को बेहतर कंटेंट देना चाहती है, उन्हें वर्कशॉप के ज़रिए बेहिचक बनाना चाहती है और उनके प्रॉडक्ट्स को आप तक ले आकार आप को स्वस्थ और उन्हें स्वावलंबी बनाना चाहती है। घरेलू औरतों ने अपने बनाए कबाब एवं गरम मसाले, फ़्लेवर्ड गुड़, घी को प्रदर्शित किया। सबने इन होम मेड सामग्रियों और उनसे बने स्नैक्स की जम कर तारीफ़ की।

इन्हीं दबी हुई इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास कर रहा है साकार।साकार की फाउंडर अनामिका पांडेय, जो की शिकागो, अमेरिका की पढ़ी हुई और बैंगलोर में बेहद अच्छी जॉब कर रही हैं उन्होंने कहा, “इस बात में तो कोई दो राय नहीं है कि ना जाने कब से भारत की घरेलू महिलाओं को एक तरह से नज़रंदाज़ किया गया है। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि भारत की कई सारी घरेलू महिलाएँ बड़ी रचनात्मक ऊर्जा से भरी हुई हैं। भारत के किसी भी रसोई घर में आपको इसके प्रमाण मिल जाएँगे! हम उसे ही लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं”