डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने इस दुनिया में अपनी छवि किसी जाति या समाज में रहकर नहीं बल्कि समाज के लिए काम करके बनाई है। वही इस बार केंद्र सरकार ने डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस पर 14 अप्रैल को पूरे भारत में अवकाश घोषित किया। देश के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को 31 मार्च 1990 को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करके देश एवं समाज के प्रति उनके अमूल्य योगदान को नमन किया गया।
‘बाबासाहब’ भीमराव आंबेडकर ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय तौर पर भाग लिया था तथा जीवनभर सामाजिक पक्षपात के खिलाफ लड़ते रहे। स्वतंत्रता के बाद उनकी भूमिका और भी अहम हो गया जब उन्हें राष्ट्र के संविधान निर्माण का दायित्व सौंपा गया।
वही भारतीय संविधान की नींव रखने वाले बाबा भीमराव अंबेडकर ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखें। किन्तु उनके दृढ़ संकल्प ने भारत के आधुनिक निर्माण की नींव रखी। छूत-अछूत जैसी सामाजिक बुराई को बाबा भीमराव अंबेडकर जी ने कड़ाई से इसे हटाया तथा समाज को मुक्त किया। वहीं श्रम कानून, लेबर लॉ जैसे मुद्दे पर भी उन्होंने जमकर आवाज उठाई तथा कानूनों में परिवर्तन किया।