यूपी के बेसिक शिक्षामंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने बृहस्पतिवार को कानपुर के दुर्दांत बदमाश विकास दुबे के हिमायतियों को घेरा और कहा कि इस घटना को जातीय रूप देने वालों को पुलिस क्षेत्राधिकारी बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्रा की बेटियों के आंसू नहीं दिखते हैं।
देवेंद्र मिश्रा भी ब्राह्मण थे, फिर भी विकास व उसके गुर्गों ने उनकी निर्ममता से हत्या कर दी। अब देवेंद्र की बेटियां किसके सहारे रहेंगी। जो लोग वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। ब्राह्मण कार्ड खेलकर राजनीति चमकाने की कोशिश में लगे हैं। उन्हें जनता करारा जवाब देगी।
अपराधी-अपराधी होता है। उसकी कोई जाति नहीं होती है। सरकार जब कोई काम करती है तो जनता का हित सोचती है। कानपुर की घटना में भी ऐसा हुआ। विकास दुबे दुर्दांत अपराधी था। उसका अंजाम यही होना था।
यूपी के बेसिक शिक्षामंत्री ने बृहस्पतिवार को गोरखनाथ मंदिर जाकर भगवान गोरखनाथ के दर्शन किए, फिर सर्किट हाउस में मीडिया कर्मियों से बात की। बेसिक शिक्षामंत्री के निशाने पर कानपुर की घटना को जातीय रूप देने वाले रहे।
उन्होंने कहा कि इस अपराधी का समर्थन करने वाले बसपा, सपा और कांग्रेस के नेताओं को पूर्व राज्यमंत्री संतोष शुक्ला, पूर्व प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय और सीओ देवेंद्र मिश्रा के रोते-बिलखते परिवार की चिंता नहीं होती है। सब ब्राह्मण थे, जिनकी हत्या विकास दुबे ने की थी। शहीद आठ पुलिस कर्मियों और उनके परिवार की फ्रिक नहीं होती है।
योगी सरकार ने प्रदेश में संगठित अपराध को जड़ से उखाड़ने व भय मुक्त शासन के संकल्प के अनुसार अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
इस दौरान मुख्य अभियुक्त विकास दुबे सहित उसके कुछ साथी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं। मगर विपक्षी पार्टियां अपने खिसकते जनाधार को बचाने की बौखलाहट और उसके खिलाफ तत्परता से कार्रवाई को जातीय रंग देने का कार्य कर रही हैं।
जातीय राजनीति के सहारे सत्ता में वापसी का ख्वाब पूरा नहीं होगा
संपूर्ण विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। अब जातीय राजनीति का सहारा लेकर सत्ता में वापसी का ख्वाब देखा जा रहा है। यह कतई नहीं होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की और बड़ी जीत होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन पर ही जनता मतदान करेगी। जातीय समीकरण धरे के धरे रह जाएंगे। यूपी की जनता सरकार के कामकाज से खुश है।
कोरोना से निपटने में तत्परता दिखाई गई
प्रदेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के समय में पूरी संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ संक्रमण को रोकने का काम किया है। संक्रमितों के इलाज का प्रबंध कराया गया। 32 लाख प्रवासियों ने घर वापसी की है। सबकी स्किल मैपिंग का काम शुरू किया है।
मनरेगा स्वयं सहायता समूह और अन्य माध्यमों से करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही साथ केंद्र सरकार गरीब कल्याण योजना और आत्मनिर्भर भारत अभियान को पूरी तरह लागू कर हर प्रवासी को राशन किट और एक हजार का जीवन निर्वाह भत्ता और हर गरीब को राशन वितरण का लक्ष्य सफलता पूर्वक हासिल किया है।
स्कूल खुलने से पहले किताबें पहुंचाने का लक्ष्य
गोरखपुर। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने सर्किट हाउस में मंडल व जिले के शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए उन्हें स्कूल खुलने से पहले बच्चों को किताबें घरों पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने लॉकडाउन अवधि को लेकर मिड-डे-मील के अंतर्गत खाद्यान्न व परिवर्तन लागत के वितरण की प्रगति का जायजा लिया।
फीस माफी की मांग को लेकर अभिभावकों की ओर से किए जा रहे प्रदर्शन पर मंत्री ने कहा कि फीस माफी की मांग अव्यवहारिक है। देश की शिक्षण व्यवस्था को बनाए रखने में प्राइवेट स्कूलों की अहम भूमिका है। जिससे करोड़ों लोगों को रोजगार मिला है। फीस माफी से उन लोगों के सामने वेतन का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
अभिभावकों ने सौंपा ज्ञापन
प्रेसवार्ता खत्म होने के बाद गोरखपुर के अभिभावकों ने बेसिक शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंप स्कूल फीस माफ किए जाने का आग्रह किया। अभिभावकों ने कहा कि लॉकडाउन में बंदी और अनलॉक में सप्ताह में तीन दुकान खुलने की वजह से बड़ी मुश्किल से गुजर बसर हो रहा है। प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हैं। कम से कम सरकार जनहित को देखते हुए जब तक विद्यालय कोरोना महामारी की वजह से बंद हैं, तब तक की फीस माफ करें। ज्ञापन देने वालों में युवराज सक्सेना, मनीष कुमार, समरेंद्र कुमार सिंह, मुकुल डे, मनोज शुक्ला, अजीत सिंह, विकास आदि मौजूद रहे।