लखनऊ के कई अस्पतालों पर पड़ा छापा, कहीं बिना डॉक्टर के चल रहे थे अस्पताल तो कहीं OT में मिली बीयर की बोतल

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लखनऊ। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्राइवेट अस्पताल सिर्फ धन उगाही का जरिया बनकर रह गए हैं। इसके बाद लगता है कि प्रशासन नींद टूटी है और उसने प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है।

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लखनऊ में मानकों को दरकिनार कर अस्पताल चलाने वालों पर बड़ी कार्रवाई हुई। इलाज के नाम पर मरीजों से धोखाधड़ी की शिकायत के बाद 45 अस्पतालों पर छापेमारी हुई।

डीएम ने सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम, चिकित्सकीय प्राधिकारी के नेतृत्व में छह टीमें गठित कर अलग-अलग स्थानों पर एक साथ भेजीं। इस दौरान कई अस्पतालों में गम्भीर खामियां मिलीं।

डीएम ने संयुक्त टीमों की रिपोर्ट के आधार पर सीएमओ को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।काकोरी से दुबग्गा के बीच डिप्टी कलेक्टर प्रज्ञा पाण्डेय और डॉ. दिलीप भार्गव की संयुक्त टीम ने चार अस्पतालों का निरीक्षण किया।

इस दौरान लक्ष्य कैंसर हॉस्पिटल पहुंचने पर पता चला कि इस संस्थान के लाइसेंस का 30 अप्रैल के बाद से नवीनीकरण नहीं कराया गया। स्वीकृति 20 बेड की थी और मौके पर 31 बेड मिले। अस्पताल में गंदगी मिली। दो मरीजों जमीउर्रहमान और रमेश चन्द्रा के भर्ती और डिस्चार्ज का विवरण नहीं मिली। मरीज देखने के लिए ऑनकॉल डॉ. समीर बेग को बुलाया जाता है लेकिन अस्पताल के पंजीकरण दस्तावेजों में इसका जिक्र नहीं।

काकोरी हॉस्पिटल में डॉक्टर मिला न चिकित्सकीय सुविधएं। इलाज के नाम पर दो बेड। रजिस्ट्रेशन का कोई दस्तावेज नहीं मिला।