काश! चुनाव कभी जात-पात, धर्म से उठकर हुआ होता तो आज स्थिति कुछ और होती
दिल्ली। देशभर में कोरोना का कहर जारी है, रोजाना ही कोरोना के डरावने आंकड़े सामने आ रहे हैं। जहां कभी हजारों में मरीज मिलते थे आज स्थिति ये है कि लाखों में इसकी गिनती पहुँच चुकी है। देशभर में मरने वालों के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं। बात देश की राजधानी की करें तो यहां की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है।
अस्पतालों में अब न बेड बचे हैं न ही ऑक्सीजन। अभी कल को शनिवार ही दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 10 से ज्यादा मरीजों को जान गवानी पड़ी। बात यूपी की करें तो भले ही यहां सरकार बड़े बड़े दावे कर रही हो लेकिन सच्चाई कुछ और है। यहां भी मरीजों को अस्पतालों में सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
बिना एडमिट हुए ही कई मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया। स्थिति ये चुकी है कि श्मशान घाटों पर 24 घण्टे शव जलाए जा रहे हैं। क्या कभी आपने सोचा है इसका जिम्मेदार कौन है? क्या इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की ही है? क्या कभी आपने सोचा कि इस देश मे काश कभी कोई चुनाव ऐसा हुआ होता जिसमे मुद्दा धर्म, जात पात का ना उठाकर युवाओं, देश मे बेहतर मेडिकल सुविधाएं ऐसा मुद्दा उठाकर चुनाव हुआ होता तो आज देश की स्थिति कुछ और होती और शायद मरने वालों का आंकड़ा भी कम होता।