शोहरतगढ़ में भूमिगत जल के गिरते स्तर पर हुई चर्चा

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वकार खान, सिद्धार्थनगर। आज शोहरतगढ में स्थित शिवपति पीजी कालेज में राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण एवं संस्थान,रायपुर के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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यह आयोजन जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सहभागिता द्वारा जलमृत प्रबंधन एवं स्थानीय भूजल विषय पर चर्चा हुई।

बतौर मुख्य अतिथि प्राचार्य अनिल प्रताप चन्द्र ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भूमि जल का एक ऐसा अनमोल संसाधन हैं जिसका प्रयोग देश के लाखों कृषक करते हैं एवं आज भी ग्रामीण पेयजल आपूर्ति का प्रबल स्त्रोत है। औद्योगिक उपयोग भी काफ़ी हद तक इस पर निर्भर करता है।

मुख्य वक्ता तहसीलदार शोहरतगढ राजेश कुमार अग्रवाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जल हैं तो कल हैं। जल मानव जीवन का आधार है। यह न सिर्फ मानव बल्कि जीव – जन्तु एवं पादप जगत के लिए भी आवश्यक है।

प्रकृति ने मानव को नदियों, नालों, तालाबों, झीलों, पोखरों, भूजल एवं समुद्र के रुप में जल के असीमित भण्डार दियें है, जिसमें मीठे जल के स्रोतों की संख्या कम नहीं हैं। परन्तु बढ़ती जनसंख्या एंवम् जल – संसाधन का अविवेकपूर्ण उपयोग मानव को जल संकट की ओर ले जा रहा है।

इस दौरान वैज्ञानिक प्रशांत राय ने कहा कि जल स्रोत सीमित है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल का स्रोत वर्षा जल ही हैं। इसी का कुछ भाग नदी नालों द्वारा समुद्र में चला जाता है, कुछ वाष्पीकृत होता है एवं कुछ रिसकर भूमि के अंदर चला जाता है। भूमि के अंदर उपस्थित जल को भूमिजल कहा जाता है। इसी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ अरविंद कुमार सिंह, कार्यक्रम संयोजक डॉ बीसी श्रीवास्तव,प्रोफेसर डॉ धर्मेंद्र सिंह, पटेश्वरी प्रसाद श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद रहे।