मैट्रिक पास राधेश्याम ने तकनीकी युग में जुगाड से बहुमंजिला इमारत को पीछे किया।
हाटाबाजार…. मनुष्य की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। तकनीकी युग में अगर मनुष्य दृढनिश्चय कर लें हो हर कार्य एकदम आसान हो जाता है इसका नज़ीर गगहा विकास खण्ड के राष्ट्रीय राजमार्ग-29पर ग्राम पंचायत कहला गाँव के सटे राजमार्ग पर बने बहुमंजिला इमारत राजमार्ग के रास्ते में आने के कारण यह मकान लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बहुमंजिला इमारत को अपने वास्तविक स्थान से 70फीट पीछे खिसकाया गया व साथ ही तीन से चार फीट की ऊंचाई बढ़ाई गई है जिसे देखने के लिए आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े इंजिनियर दांतों तले अंगुली दबा रहैगा है ।यह सब कार्य मैट्रिक पास राधेश्याम यादव ने कर दिखाया है । लोगों को सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा है कि जिस कार्य को भारत में बड़े बड़े इंजिनियर नहीं कर पाये वह एक मैट्रिक पास युवक ने कर दिखाया। आश्चर्य की बात यह यह की इनके साथ कार्य करने वाले अधिकांश लोग अनपढ़ हैं। जिससे क्षेत्र के लोगों को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन चार माह के अथक परिश्रम से मकान को फोरलेन के रास्ते से 70फीट पिछे शिफ्ट किया गया है ।
राधेश्याम यादव ने बताया कि गगहा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कहला स्थित राजेन्द्र प्रसाद मिश्र की तीन मंजिला मकान जिसकी वजन करीब 1500टन वजनी मकान को 70फीट पीछे हटना एक चुनौती था । साथ ही मकान को मकान को तीन फुट लिफ्टिंग व 70फिट शिफ्टिंग करना था। इतना वजनी मकान पीछे करना मेरे लिए किसी चुनौती से कम नहीं था क्योंकि हिन्दूस्तान में इससे पहले नौ सौ टन वजनी मकान को यमुना नगर हरियाणा निवासी राजेश चौहान पुत्र मामचंद ने किया था उसके बाद भारत का सबसे वजनी बहुमंजिला मकान को 70फुट पीछे हटा कर इतिहास रच दिया।इस मकान को उठाने व शिफ्ट करने में चालीस टन वजन का चैनल, लिफ्टिंग के लिए चालीस टन वजनी,व सत्ताइस टन वजनी लौहे के औजार लगे ।दस वर्ष के कार्यकाल में करीब तीन सौ मकानों को उठाया है ।इधर फोरलेन के निर्माण कार्य होने से उसके जद में आये राष्ट्रीय राजमार्ग-29पर तीन मकानों को पीछे शिफ्ट किया हूं।पहला भरवलिया निवासी देवेंद्र शाही का मकान तीस फीट,डवरपार निवासी हरीश पाण्डेय का मकान पचास फीट पीछे और कहला गांव के राजेन्द्र प्रसाद मिश्र का बहुमंजिला मकान जिसका वेट 1500टन है उसे तीनफीट ऊंचा ,वहीं सत्तर फीट पीछे शिफ्ट किया गया है । आश्चर्य की बात यह है कि राधेश्याम के साथ कार्य करनेवाले अधिकांश लोग अनपढ़ हैं या किसी तरह अपना नाम लिख पाते ।इनकी टीम में गिनती के लोग ही पढ़ें लिखे हैं सबसे ज्यादा पढ़ने वाला आदमी हाईस्कूल तक पढ़ाई किया है ।