2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी क्या कांग्रेस पार्टी गम्भीर हैं ये एक बड़ा सवाल हैं? हम ऐसा इसलिए बोल रहे क्योंकि हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव के बाद जिस तरह कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दिया उससे यह साफ पता चलता है कि बीजेपी को सत्ता से रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी कितनी बैचैन और घबराई हुई है।कांग्रेस पार्टी बीजेपी को रोकने के लिए इतनी बैचैन है कि वो खुद की ही जमीन या कहा जाए तो इतिहास भुला रही हैं।पार्टी को कोई परवाह नहीं उनके लोग तो वैशाखी पकड़ के बीजेपी को रोकना चाह रहे है।
कर्नाटक में तो यह प्रयोग किसी तरह सफल हो गया लेकिन जरा सोचिए कांग्रेस की स्थिति पहले क्या थी और अब क्या हैं?पार्टी की स्थिति ये हो गयी हैं कि उसे अब क्षेत्रीय दलों का सहारा लेने की जरुरत पड़ गई है चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े तो कांग्रेस पार्टी कर रही हैं।अगर हम बात करे 2019 के आम चुनाव की तो बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस किसी क्षेत्रीय नेता को प्रधानमंत्री बना दे तो कोई आश्चर्य नहीं और इसके लिए वह कोई भी समझौता करने के लिए तैयार भी दिख रही है।आपको बताते चले अभी हाल ही में हुए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और राष्ट्रिय पार्टी कांग्रेस अपनी जमानत तक नहीं बचा पायी।
लेकिन कांग्रेसी खुश थे और वह जश्न मना रहे थे और तो और वो टीवी चैनलों पर बीजेपी की हार पर उसकी नाकामी गिना रहे थे।अब सवाल यह है कि पूरे देश से कांग्रेस की जमीन खिसक रही है और पार्टी खुश है।अभी हाल ही में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को 2 लोकसभा सीटों से ज्यादा देने की जरुरत नहीं हैं मतलब साफ हैं वो दो सीट राहुल और सोनिया गांधी होंगे क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मात्र इन्ही दोनों ने यूपी में कांग्रेस पार्टी की लाज बचाई थी।इतने बड़े अपमान के बाद भी कांग्रेस ने कैराना में 28 मई को होने वाले चुनाव में गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान कर दिया और वो भी बिना मांगे ही समर्थन दे दिया।कांग्रेस अपना आकलन करने के बजाए इस चीज पर राजनीति कर रहीं हैं कि बीजेपी को कैसे रोक दिया जाए चाहे भले ही अपने हार जाए लेकिन बस बीजेपी को रोकना है और हो सकता है कांग्रेस 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए किसी क्षेत्रीय दल के नेता को प्रधानमंत्री भी बना दे।