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आर्यन हॉस्पिटल के मालिक डॉ. डीपी सिंह कम समय में ही बनना चाहते थे शहंशाह..

भोजपुरी में एक कहावत है धन और मन के नाही बढ़ावेके चाही ,यह ठीक सटीक लाइन आर्यन हॉस्पिटल के मालिक डीपी सिंह पर बैठता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है धन बढ़े तो मन नही ,और मन बढ़े तो धन नही यहां दोनों का सामंजस बैठाना चाहिए ताकि जिंदगी की पटरी सही दिशा में जा सके। आर्यन हॉस्पिटल के मालिक डीपी पत्नी के हत्या के आरोप में इन दिनों सलाखों के पीछे है लेकिन उनकी यह दिली इच्छा थी उनका हॉस्पिटल गोरखपुर का नम्बर एक रहे।

होना भी चाहिए हर इंसान की ख्वाइस होती है की वह खूब तरक्की करे लेकिन उसके लिए शार्टकट रास्ता अख्तियार करे तो अंजाम डीपी जैसा ही होता है ,डीपी चाहते थे की उनका हॉस्पिटल का तख्त हमेशा मरीजो से पटा रहे मतलब साफ की लोग जितना बीमार कमाई उतना ही ज्यादा।

डॉ. डीपी सिंह

कुछ लोगों की माने तो इसके लिए वह विज्ञापन करने वाले वेंडरों से कहते भी थे कि हर चौराहे पर सिर्फ आर्यन का ही बोर्ड दिखना चाहिए और किसी हॉस्पिटल का नहीं। इसके लिए वह अपनी जेब भी खूब ढीली करते थे लेकिन अब उन वेंडरों के लिए मुसीबत आ गया है जिनका पैसा बकाया है क्योंकि डीपी तो जेल में है।

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