Home न्यूज़ आंख हैं भरी-भरी और तुम मुस्कराने की बात करते हो…

आंख हैं भरी-भरी और तुम मुस्कराने की बात करते हो…

आयुष द्विवेदी/नीतीश गुप्ता

गोरखपुर।

आपको 2014 का लोकसभा चुनाव तो याद ही होगा,उस समय लहर मोदी की थी और उस लहर में सभी गोते लगाना चाहते थे बहुत से लोगों ने या पार्टीयो ने लगाया भी,पर जैसे-जैसे समय बीता लोगो का लहर में गोते लगाने की बजाय उसमे से बाहर आना रास आने लगा।आप शायद समझ नहीं पा रहे होंगे कि गोते,लहर हम इन सब की बात क्यों कर रहे हैं।तो जनाब सुनिए,2014 के लोकसभा में मोदी लहर के साथ बीजेपी का सरकार बनी तो कई पार्टी उस समय बीजेपी के साथ हो ली और उस समय अन्य पार्टियों की तुलना में बीजेपी धर्मनिरपेक्ष लगने लगा और 4 साल तक उनको कुछ भी दिखाई नहीं दिया। लेकिन इस बीच लगातार उपचुनावों में हार बीजेपी के लिए चिंता का कारण बन गया, तो वही अब किसी ना किसी बहाने से उनके सहयोगी बीजेपी से पाला छुड़ाना चाहते है।
शुरुवात हो भी गयीं,टीडीपी ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा तो महाराष्ट्र में शिव सेना ने और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बीजेपी पर आँखे तरेर रही है।कुछ तो पाला बदलने के जुगत में भी लगे हुए है।ताजा मामला लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान का हैं,चार सालो तक वह चुप रहे और बीजेपी के साथ रहे,लेकिन अब उन्होंने चुप्पी तोड़ी और कहा कि बीजेपी मुसलमानों और दलितों पर अपना नजरिया साफ करें।पासवान ने बोला बीजेपी दलितों और मुसलमानों के प्रति नरमी दिखाए।लेकिन यहां समझने वाली बात यह की क्या 4 साल तक दलितों और मुसलमानो के खिलाफ उनको कुछ नहीं दिखा सब कुछ ठीक-ठाक था?
अब जब की लोकसभा चुनाव नज़दीक है,तो मुसलमानो और दलितों पर इतनी दरियादिली क्यों?
राजनीतिज्ञ बताते है रामविलास सिर्फ सत्ता में रहना चाहते है और वह इसी जुगत में लगे हुए है कि 2019 में किसके साथ गोटी सेट करना ठीक रहेगा।वही केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का कहना है कि,यूपी के राज्यसभा के चुनावो में उनके विधायक नाराज है।हालांकि नाराज़ वो पहले से है पर बयाँ अब कर रहे है।
आइये अब बात बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की, हाल ही में उन्होंने ने लालू यादव की पार्टी से गठबंधन तोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था,जिसके बाद बिहार की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया था और बिहार में हुए उपचुनाव को लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने क्या जीता,नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी दरकती हुई नजर आने लगी जिसके बाद नीतीश का बयान आया,कि मेरा बीजेपी से गठबंधन तो है लेकिन हम समझौता करके सरकार नहीं चला रहे है और मुसलमानो और दलितों पर वह भी बीजेपी को पाठ पढ़ाने लगे।यूपी उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार के बाद ओमप्रकाश राजभर ने भी विरोधी स्वर लगाना शुरु कर दिया,उन्होंने योगी सहित बीजेपी को हार के बाद आड़े हाथों लिया।
तो तमाम बीजेपी से मिले पार्टियों के नेता के बयानों से क्या समझा जाए कि 2019 के चुनाव में एक बड़ा हेर फेर देखने को मिलेगा? खैर ये तो आने वाला समय बताएगा,लेकिन इससे ये समझनी वाली बात जरूर है,कि राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता।

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