जहां नेता अपने चुनावी रैली में विकास की गंगा बहाने की बात करते है और जातिगत हित साधने के लिए कुछ भी बोल देते है उसका ताजा उदाहरण गोरखपुर की राजनीति से समझ सकते है ।पहले यहां आस्था के साथ जाति की लड़ाई होती थी और लोगो का आस्था गोरखनाथ मंदिर के कारण योगी आदित्यनाथ सांसद हो जाते थे ।लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर की राजनीति बदल गयी ।गोरखपुर में उपचुनाव हुआ और प्रवीण निषाद सांसद बन गए।
तभी से बीजेपी ने भी निषादों पर डोरा डालना शुरू किया पहले अमरेंद्र निषाद और अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद। जो खुद योगी आदित्यनाथ से मुलाकात किए है ।अब यहां समझने वाली बात होगी जिस गोरखपुर में विकास की गंगा बहने की बात हो रही है वहां की राजनीति सिर्फ एक जाति पर ही आकर टिक गई है।
वह चाहे सत्ता के लिए हो या विपक्ष के लिए सब लोग निषाद फैक्टर को ही तवज्जो दे रहे है ।अब गोरखपुर की राजनीति में जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि आस्था अब पीछे छूट गया और सिर्फ राजनीति एक जाति पर टिक गई है और इसके लिए रोज नए समीकरण बन रहे है और बिगड़ रहे है।
हम ऐसा इसलिए भी कह रहे है क्योंकि कुछ दिन पहले ही अमरेंद्र निषाद ने बीजेपी जॉइन किया जिसके बाद लोग आशंका लगाने लगे कि अमरेंद्र ही बीजेपी के उम्मीदवार होंगे पर आज निषाद पार्टी ने जिस तरीके से योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है तो उससे लगता है जैसे दोनों पार्टीयों में गठबंधन तय है और अगर ऐसा होता है तो देखना दिलचस्प होगा कि आखिर बीजेपी टिकट किसको देती है क्योंकि दोनों ही निषाद अब अपनी दावेदारी चुनाव में ठोकेंगे।