अब आस्था पर नहीं बल्कि एक जाति विशेष पर आकर टिकी है गोरखपुर की राजनीति..
जहां नेता अपने चुनावी रैली में विकास की गंगा बहाने की बात करते है और जातिगत हित साधने के लिए कुछ भी बोल देते है उसका ताजा उदाहरण गोरखपुर की राजनीति से समझ सकते है ।पहले यहां आस्था के साथ जाति की लड़ाई होती थी और लोगो का आस्था गोरखनाथ मंदिर के कारण योगी आदित्यनाथ सांसद हो जाते थे ।लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर की राजनीति बदल गयी ।गोरखपुर में उपचुनाव हुआ और प्रवीण निषाद सांसद बन गए।
तभी से बीजेपी ने भी निषादों पर डोरा डालना शुरू किया पहले अमरेंद्र निषाद और अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद। जो खुद योगी आदित्यनाथ से मुलाकात किए है ।अब यहां समझने वाली बात होगी जिस गोरखपुर में विकास की गंगा बहने की बात हो रही है वहां की राजनीति सिर्फ एक जाति पर ही आकर टिक गई है।