आयुष द्विवेदी
गोरखपुर
गोरखपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी वोट कहाँ से बटोरेगी और मजबूत प्रत्याशी कहा से लाएगी यह सवाल शिर्ष नृतत्व के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। आलम यह है कि कांग्रेस पार्टी के पास ना तो वर्तमान में उचित कार्यालय है और ना ही प्रत्याशी और ऊपर से गुटबाजी चरम पर है। स्थिति यह है कि कार्यकर्ता गुट में बट गए है और नहीं तो जातिगत गोटी बैठाने में लग गए है।
गोरखपुर लोकसभा सीट मुख्यमंत्री का शहर है और यह सीट बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। यहां से वर्तमान सांसद प्रवीण निषाद है और आगे उनके लिए भी राह आसान होता हुआ नहीं दिख रहा है क्योंकि बीजेपी यहां से उपचुनाव की तरह गलती नहीं करना चाहती और इसीलिए वह जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए अमरेंद्र निषाद को पार्टी में शामिल कर लिया है।लेकिन गठबंधन में जगह ना मिलने के बाद सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेस पार्टी को हो रही है क्योंकि उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी यहां अपनी जमानत तक नही बचा पाई थी।
कांग्रेस पार्टी के माथे पर चिंता की लकीर साफ दिखी जा सकती है कारण यह कि आसपास के लोकसभा सीट पर वह अपने प्रत्याशी को घोषित तो कर दिए लेकिन गोरखपुर सदर सीट पर उसको अभी तक उचित प्रत्याशी ही ढूढे नही मिल रहा है। प्रियंका गांधी के पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनने के बाद गोरखपुर के कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि प्रियंका यहां का दौरा करेंगी लेकिन अभी तक ना प्रियंका का इस लोकसभा सीट पर आना हुआ और ना ही अभी आने की सुगबुगाहट है।
अब स्थिति जो भी हो लेकिन वर्तमान परिस्थिति देखकर यह कहा जा सकता है कि अगर स्थिति यही रहा तो उपचुनाव की तरह ही कांग्रेस फिर से मात्र कुछ ही वोटों पर सिमट कर रह जायेगी।