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तो क्या निषाद पार्टी को जो समाजवादी पार्टी नहीं दे पायी वो बीजेपी दे पायेगी?

लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह से समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ संजय निषाद ने भारतीय जनता पार्टी का साथ पकड़ा है उससे कहीं न कहीं गोरखपुर की राजनीति पर बड़ा असर देखने को मिलेगा. हालांकि ये साथ भी कब तक रहेगा इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है. आपको बता दें कि हाल ही में औपचारिक तौर पर लखनऊ में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था मगर दो दिन बाद ही ये गठबंधन टूट गया और स्नजय निषाद जा मिले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से. सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी से निषाद पार्टी से अलग होने का कारण सीट पर बात न बनना है।

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यानी कहीं न कहीं निषाद पार्टी ने अपनी शर्ते न मानने के कारण समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया. खैर चुनाव से पहले जिस तरिके से संजय निषाद की मुलाकात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई और उसके बाद बीजेपी और निषाद पार्टी साथ आएं उससे साफ़ है कि कहीं न कहीं उपचुनाव में गठबंधन से जीत हासिल करने वाले सांसद प्रवीण निषाद इस बार बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ सकते है.

हालांकि इस मामले पर अभी तक दोनों ही पार्टियों की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है. लेकिन एक बात तो तय है अगर ये बीजेपी और निषाद पार्टी में बात बन गयी और निषाद पार्टी की तमाम शर्तों को अगर बीजेपी मानती है तो गोरखपुर के उम्मीदवार प्रवीण निषाद ही होंगे.

वहीं सपा-बसपा गठबंधन के गोरखपुर से उम्मीदवार रामभुआल निषाद ने निषाद पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी ने निषाद पार्टी को 50 करोड़ रूपये देकर डील फिक्स की है. खैर आने वाला समय ही बताएगा कि निषाद पार्टी का गठबंधन बीजेपी के साथ कब तक चलेगा और चलेगा तो ये टिकेगा या नहीं?

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