गोरखपुर उपचुनाव :कहाँ फंस रहा है मामला

565

गोरखपुर में उपचुनाव की तारीख तय हो चुकी है। आचार संहिता लागू हो चुकी है, प्रशासन चुनाव की तैयारियों में लग गया है, लेकिन एक बात सबको परेशान कर रही है प्रत्याशी कौन है?
हाल ये है कि बियाह का दिन पड़ गया है बारात के लिए गाड़ी बुक हो गयी है, बाराती कपड़े धुलवा चुके हैं लेकिन दूल्हा अभी तय नही हुआ है।
अब सोचने वाली बात ये है कि दूल्हा तय क्यों नहो हो पा रहा है। इस बारे में हमने जब पड़ताल को तो हम मामले की जड़ में पहुँचे।

Advertisement

पहले बात करते है सपा के उम्मीदवार की। हमारे सूत्रों ने बताया कि सपा इस बार पूरे विपक्ष को इकट्ठा कर बीजेपी को धूल चटाने के फिराक में है इसलिए सपा सबकी सहमति से रामभुआल निषाद पर दाँव लगाना चाहती है। लेकिन यहीँ मामला फंस रहा है निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। अगर संजय निषाद चुनाव लड़ते हैं तो वह रामभुआल के कोर वोटबैंक में ही सेंध लगायेंगे ऐसे में सपा ने संजय निषाद को ही अपने पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लड़ने का आफर दिया जिससे निषाद वोटों का बटवारा न हो। लेकिन यहाँ संजय निषाद मामले को उलझा दे रहें हैं संजय निषाद चाहते हैं कि वह खुद अपनी ‘निषाद पार्टी’ के बैनर तले चुनाव लड़े और सपा के साथ विपक्ष उनका समर्थन करे। सपा को यह बात हजम नही हो रही है की चुनाव उनके पार्टी सिम्बल पर न हो और यहीं मामला अटक जा रहा है।

अब बात करते हैं भाजपा की तो भाजपा के कार्यकर्ता इस उम्मीद में है कि अब गोरखपुर सीट योगी आदित्यनाथ के वर्चस्व से निकल कर बीजेपी के कार्यकर्ता के खाते में आये वही सूत्रों का कहना है कि योगी इसे हिन्दू युवा वाहिनी के किसी कार्यकर्ता को देना चाहते हैं। एक और वजह है जो बीजेपी को उम्मीदवार घोषित करने से रोक रही है वह है विपक्ष का दांव भाजपा चाहती है पहले विपक्ष अपना उम्मीदवार अपना उम्मीदवार तय करे उसके बाद भाजपा अपनी गोटी सेट करेगी।

मजेदार बात यह है कि इस उपचुनाव में सपा और भाजपा के अलावा बाकी पार्टीया बस दर्शक की भूमिका में रहने वाले हैं यानी यह तय है को लड़ाई भाजपा बनाम सपा में ही होनी है।

अब इस उठा पटक में देखते हैं सपा अपना उम्मीदवार पहले तय करती है या भाजपा। गोरखपुर उपचुनाव से जुड़ी और update के लिए हमसे जुड़े रहिये।