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क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व

प्रकाशिनि मणि त्रिपाठी

इस बार रक्षाबंधन १५ अगस्त को मनाया जायेगा,इस दिन भारत का स्वतंत्रता दिवस भी मनाया जाता है अतः दोनों पर्व एक साथ धूमधाम से मनाया जायेगा, जहाँ एक तरह तिरंगा से तो दूसरी तरफ रंग बिरंगी राखियों से बाजार सज गया है, वैसे भारतीय इतिहास में भी इस पर्व का बड़ा महत्व है इसलिए इस बार और भी खास होगा रक्षाबंधन का पर्व।

आइये जानते हैं क्यों मानाया जाता है राखी का त्यौहार
रक्षाबंधन या राखी का पर्व श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, इस दिन बहिन अपने भाई के कलाई पर रेशमी धागा बांधते हुए उसके सुख,समृद्धि,मंगलमय जीवन की रक्षा की कामना करती है।
इस पर्व का महत्व पौराणिक कथाओं में भी प्रचलित है, एक बार देवता और असुरों में युद्ध छिड़ गया था जिससे सभी देवता परेशान हो गए,यह सुचना देने बृहस्पति देव देवराज इंद्र के पास जाते है, बृहस्पति देव की बातों को इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी ने भी सुन ली जिसके बाद अपने पति की रक्षा और विजय के लिए पवित्र मंत्र से उच्चारित रेशमी सूत्र को देवराज इंद्र के कलाइयों पर बांधती है, संयोग से वह श्रावण मास का पूर्णिमा का दिन भी था,इंद्र देव को इस युद्ध में विजय की प्राप्ति हुई ,कहा जाता है कि इस रेशमी धागा के वजह से ही देवराज इंद्र को यह विजय मिली।

ऐसे ही एक बार भगवान श्री कृष्ण जी को युद्ध करते समय चोट लगने से रक्त बहने लगा तभी द्रौपती जी अपने आँचल को फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण जी के कलाइयों पर बांधती है, भगवान ने उनको अपनी बहन स्वीकार कर लिया और मुसीबत के समय रक्षा करने का वचन दिया,जिसके बाद द्रौपती जी के चीरहरण के समय श्री कृष्ण जी ने उनकी लाज रख कर अपने वचन का पालन किया।

इतना ही नही हमारे भारतीय इतिहास में भी इस त्यौहार का बड़ा ही महत्व है,ब्रिटिश शासन में 1905 ई०में बंगाल विभाजन के समय सभी भारतीयों ने भाईचारा को अपनाते हुए एक दूसरे के कलाइयों में रक्षासूत्र बांधते हुए अपने वतन की रक्षा करने की कसम खायी।
इस तरह श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले इस पर्व की एतिहासिक और पौराणिक दोनों ही दृष्टि से बड़ा महत्व है, जो आज तक मनायी जाती है।

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