फसल अवशेष जलाने से घट जाती है मिट्टी की उर्वरा शक्ति

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प्रशासन के आदेश के बाद भी कुछ किसान गेंहू कटाई के बाद उसके डंठल को जला देते हैं लेकिन वह इस बात से अनभिज्ञ है कि इससे उनके वातावरण पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। गेंहू कटने के बाद उसके डंठल को जलाने से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव और पोषक तत्व भी जल कर नष्ट हो जाते है जिससे पैदावार में भी कमी आ जाती है। वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं जो गेहूं के डंठल को सिर्फ इसलिए जला रहे है कि कोई उससे अपने पशुओं के लिए चारा न बना ले।

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महराजगंज जिला प्रशासन के आदेश को धत्ता बताते हुए जिले के मनबढ़ एवं मानसिक विकार से ग्रस्त कुछ किसान सिर्फ इसलिए गेहूं के डंठल को जला रहे हैं कि कहीं कोई उनके खेत से कोई पशुओं के लिए भूसा न बना ले।

विशेषज्ञों के अनुसार इनके कृत्य से आने वाले समय में हमारी भावी पीढ़ी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि वातावरण में कार्बन( जहरीला धुआं) की मात्रा बढ़ने से तापमान में वृद्धि होगा और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी,जिससे बड़े-बड़े ग्लेशियर एवं हिमखंड देखते ही देखते आने वाले कुछ वर्षों में समाप्त हो जाएंगे और इस सभ्य समाज को भारी जल संकट का सामना करना पड़ेगा।