कहानी उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर की..
सत्येन्द्र सिंह
गोरखपुर।
गोरखपुर की धरती का कण- कण राजनीति से परिचित है। गोरखनाथ के गोरच्छ धरा मे स्थित गोरखपुर से अपनी जीवन यात्रा शुरु करके राजनीति के आकाश मे छा जाने वाले और भारतीय राजनीति को प्रभावित करने वाले अनेक नाम है, किन्तु गोरखपुर की धरती से शुरु करके क्रमशः प्रदेश एवं देश की राजनीति मे अपनी अलग पहचान बनाने वाले वे अकेले राजनेता हैं।लखनऊ और दिल्ली मे रहकर भी गोरखपुर के प्रति उनका असीम प्रेम तथा यहा के विकास के प्रति उनकी कल्पना और कोशिश स्मरणीय है।राजनीतिक ढृढता तथा कठोरता परिश्रम के बल पर प्रदेश की वागडोर सभालने वाले वीर बहादुर सिंह का जन्म 18फरवरी 1933 को महुराव (हरनही) खजनी , गोरखपुर मे हुआ था। उनके पिता का नाम श्री रघुनन्द सिंह था। गोरखपुर विश्वविधालय से भूगोल विषय से परास्नातक डी0 लिट करने के बाद उन्होने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1967 ई मे की थी।अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा, निष्ठा, ढृढता, परिश्रम और जमीनी पकड के चलते उन्होने जल्दी ही राजनीति की वुलदियो को छू लिया।उत्तर प्रदेश सरकार मे वे कइ बार महत्वपूअर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे।वीर बहादुर सिंह जैसे लोगो की बदौलत ही कग्रेस का वह स्वर्ण काल था। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप मे माननीय वीर बहादुर सिंह जैसे लोगों की बदौलत ही काग्रेस का वह स्वर्ण काल था। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश के मुख्यमंन्त्री के रुप मे माननीय वीर बहादुर सिंह ने प्रदेश के विकास की नयी आधारशिला रखी।वे 1967 ई की उत्तर प्रदेश विधान सभा के पनियरा निर्वाचन क्षेत्र के तत्कालीन जिला गोरखपुर से सर्व प्रथम चुने गये।पुनः वर्ष 1969,1974,1980 तथा 1985 तक पाँच बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।वर्ष 1988-89 तक राज्य सभा के सदस्य रहे।वर्ष 1973-74 तक उपमुन्त्री रहे।वर्ष 1976-77 तक राज्य मंत्री रहे। वर्ष 1980-85तक मंत्री रहे दिनांक 24 सितम्ब,1985 से 24 जून 1988 तक उत्तल प्रदेश के मूख्य मंत्री रहे ।1988 से 30 मई 1989 तक केन्द्रीय संचार मंनत्री भी रहे।संयोजक जिला युवक काग्रेस गोरखपुर।सदस्य अखिल भारटतीय काग्रेस कमेटी। सदस्य उत्तर प्रदेश काग्रेस कमेटी।सेन्ट्रृलपार्लिँयालन्टी के स्थायी सदस्य।विदेशयात्रा डेली गेशन के सदस्य के है। स्थित से यू 0 एस0 एस0 आर और काग्रेस प्रतिनिधिमंडल के नेता के रुप मे इग्लैण्ड रुमानिया यू0 एस0 एस0 आर0 और फ्रास की मात्रा की।1989 मे भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रुप मे फ्रास की राजकीय यात्रा के दौरान षेरिस शहर मे 30 मई 1989 को उनकी आकस्मि ओर असामयिक मृत्यु हो गयी ।सहसा उनके चले जाने से गोरखपुर के विकास की तमाम योजनाये ठप ठप पड गयी।जो चल भी रही है उसमे वह गति नही है जो उनके जिन्दा रहने पर होती ।गोरखपुर के विकास मे उनका योगदान अविस्मणीय है।